May 3, 2025
Uttar Pradesh

काशी में अक्षय तृतीया पर भगवान बद्रीनारायण का भव्य श्रृंगार, भक्तों में उत्साह

Grand decoration of Lord Badrinarayan on Akshaya Tritiya in Kashi, enthusiasm among devotees

वाराणसी, 3 मई। धर्म नगरी काशी में अक्षय तृतीया का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में भगवान विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप का भव्य और दिव्य श्रृंगार किया गया।

साथ ही, सनातन परंपरा के अनुसार, भगवान विश्वनाथ के शिवलिंग पर श्रावण मास तक ‘कुंवरा’ (जलधारा) की स्थापना की गई। यह जलधारा शिवलिंग पर निरंतर जलाभिषेक के लिए लगाई जाती है, जो शीतलता, शुद्धता और साधना का प्रतीक है।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारी चेतनारायण उपाध्याय ने आईएएनएस को बताया कि अक्षय तृतीया से श्रावण पूर्णिमा तक यह परंपरा निभाई जाती है।

उन्होंने कहा, “ग्रीष्म ऋतु में प्रचंड गर्मी को देखते हुए भगवान विश्वनाथ पर जलधारा स्थापित की जाती है। भगवान शिव को जलधारा प्रिय है, जबकि भगवान विष्णु को अलंकार प्रिय हैं। इस जलधारा से मध्याह्न भोग आरती से शाम 5 बजे तक निरंतर जलाभिषेक होता है, जिससे भक्तों की आस्था और भक्ति और गहरी होती है।”

उन्होंने बताया, “यह प्राचीन परंपरा मंदिर के निर्माण काल से चली आ रही है। गर्मी के मौसम में भक्तों की भावना के अनुसार, भगवान को गंगाजल से अभिषेक किया जाता है। यह जलधारा भगवान को प्रसन्न करती है और भक्तों को शांति प्रदान करती है।”

उन्होंने भक्तों से इस पवित्र अवसर पर दर्शन और पूजन का लाभ उठाने की अपील की।

अक्षय तृतीया का पर्व सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए दान और पुण्य कार्यों का फल कभी नष्ट नहीं होता। काशी में सुबह से ही श्रद्धालु गंगा स्नान, दान-पुण्य और पितरों की शांति के लिए पूजा-अर्चना में जुटे रहे।

पंडित विवेकानंद पांडे ने बताया, “वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं। यह दिन अत्यंत शुभ है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान और दान-पुण्य के लिए आते हैं।”

श्रद्धालु अंबिका श्रीवास्तव ने कहा, “अक्षय तृतीया का स्नान और दान बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन किए गए कार्यों का पुण्य हमेशा साथ रहता है। हम प्रार्थना करते हैं कि घर में सुख-शांति बनी रहे और बच्चे उन्नति करें।”

वहीं, श्रद्धालु सर्वजीत श्रीवास्तव ने बताया, “इस दिन अच्छे कर्म करने से पुण्य मिलता है, जो जीवन को समृद्ध बनाता है।”

काशी में अक्षय तृतीया का पर्व भक्ति, आस्था और परंपरा का अनूठा संगम बनकर उभरा। भक्तों ने बाबा विश्वनाथ और भगवान विष्णु की कृपा के लिए विशेष पूजा-अर्चना की।

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