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गुरुग्राम: बालियावास में सीएंडडी कचरे के लिए प्रस्तावित डंपिंग यार्ड का विरोध

Gurugram: Protest against proposed dumping yard for C&D waste in Baliyawas

गुरुग्राम, 24 जुलाई गुरुग्राम नगर निगम द्वारा बलियावास गांव में निर्माण एवं तोड़-फोड़ (सीएंडडी) कचरे के लिए डंपिंग यार्ड स्थापित करने के प्रस्ताव को स्थानीय निवासियों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

गांव के निवासियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में गुरुग्राम में हरियाणा के पर्यावरण और वन मंत्री संजय सिंह से मुलाकात की और उनसे इस परियोजना को रोकने का आग्रह किया। उन्होंने आरोप लगाया है कि डंपिंग यार्ड पर्यावरण और स्थानीय समुदाय के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करेगा। पिछले कुछ हफ्तों में ग्रामीणों ने इस परियोजना के खिलाफ कई बार विरोध प्रदर्शन किया है।

प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री को बताया कि प्रस्तावित मलबा डंपिंग यार्ड से भूजल प्रदूषित होगा तथा अरावली में पर्यावरण नष्ट होगा।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि डंपिंग यार्ड से 5 एकड़ के जल निकाय और उसके आसपास की हरित पट्टी के अस्तित्व को भी खतरा होगा। गांव के पूर्व सरपंच सुरेंद्र कुमार ने दावा किया कि इससे पूरे इलाके के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंच सकता है।

सुरेन्द्र ने कहा कि उनके गांव को नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में शामिल किए जाने के बाद वे पहले ही अपनी सारी सार्वजनिक भूमि खो चुके हैं और अब उन्हें स्वच्छ जल और वायु भी नहीं मिल पाएगी।

निवासियों ने बताया कि बलियावास गांव में पहले से ही तीन जल संचयन परियोजनाएं हैं। उन्होंने कहा कि सीएंडडी अपशिष्ट को डंप करने के लिए जलग्रहण क्षेत्र में जगह बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जिससे जल संचयन परियोजनाओं को नुकसान हो सकता है।

इस बीच, दौलताबाद गांव के निवासियों ने भी द्वारका एक्सप्रेसवे के किनारे उनके गांव में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र स्थापित करने के एमसीजी के प्रस्ताव का विरोध किया है।

नगर निगम बंधवारी लैंडफिल पर कचरा प्रबंधन संकट से निपटने के लिए छोटे डंपिंग यार्ड स्थापित कर रहा है। इसने दावा किया है कि इन डंपिंग साइटों से पर्यावरण को कोई खतरा नहीं होगा और कचरे का वैज्ञानिक प्रसंस्करण आसान हो जाएगा।

यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब हरियाणा सरकार ने हाल ही में आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 की धारा 22 के तहत गुरुग्राम में ठोस अपशिष्ट आपातस्थिति घोषित की है।

यह घोषणा सर्वोच्च न्यायालय के 13 मई के आदेश और एनजीटी की टिप्पणियों के जवाब में की गई थी, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गुरुग्राम के नागरिकों के लिए स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया था।

एनजीटी ने पहले इस स्थिति को पर्यावरणीय आपातकाल बताया था तथा उचित अपशिष्ट प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया था। इस संबंध में एमसीजी आयुक्त नरहरि सिंह बांगर और संयुक्त आयुक्त (स्वच्छ भारत) नरेश कुमार से संपर्क नहीं हो सका।

मंत्री से हस्तक्षेप की मांग गांव के पूर्व सरपंच सुरेन्द्र कुमार ने दावा किया कि ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल इस संबंध में रविवार को हरियाणा के पर्यावरण एवं वन मंत्री संजय सिंह से गुरुग्राम स्थित उनके आवास पर मिला था। उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंत्री ने स्थानीय लोगों को आश्वासन दिया कि वह प्रस्तावित डम्पिंग यार्ड के स्थानीय पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव पर गौर करेंगे।

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