चंडीगढ़, 13 जुलाई हरियाणा मंत्रिमंडल ने आज आईटी सक्षम युवा योजना, 2024 तैयार की, जिसके तहत पहले चरण में 5,000 युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। 2024-25 के बजट भाषण के दौरान घोषित ‘मिशन 60,000’ द्वारा तैयार की गई योजना का उद्देश्य गरीब परिवारों के कम से कम 60,000 युवाओं को रोजगार देना है।
अन्य निर्णय मंत्रिमंडल ने कैथल के सेरधा स्थित अमरनाथ भगत जयराम गर्ल्स कॉलेज को सरकार के अधीन लेने की मंजूरी दे दी हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी नियम, 2023 के तहत मतदाता सूची में नाम शामिल करवाने के लिए मामूली फीस देने का प्रावधान हटा दिया गया है। साथ ही, अब हरियाणा सिख गुरुद्वारा न्यायिक आयोग के अध्यक्ष के रूप में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को नियुक्त किया जा सकेगा। पहले केवल जिला एवं सत्र न्यायाधीश को ही नियुक्त किया जा सकता था बदनपुर और सुंदरपुरा गांवों को उचाना तहसील से जींद की नरवाना तहसील में स्थानांतरित कर दिया गया है
इस योजना के तहत, आईटी पृष्ठभूमि वाले युवाओं (स्नातक/स्नातकोत्तर आवेदक) को रोजगार प्रदान किया जाएगा, जो न्यूनतम तीन महीने की अवधि के लिए हरियाणा आईटी कार्यक्रम (विशेष रूप से डिजाइन किए गए अल्पकालिक पाठ्यक्रम) में भाग लेंगे और उसके बाद उन्हें हरियाणा के विभिन्न विभागों/बोर्डों/निगमों/जिलों/पंजीकृत समितियों/एजेंसियों या निजी संस्थाओं में तैनात किया जाएगा।
आईटी सक्षम युवा को पहले छह महीनों में 20,000 रुपये मासिक पारिश्रमिक दिया जाएगा और उसके बाद सातवें महीने से 25,000 रुपये मासिक वेतन मांग करने वाली संस्थाओं द्वारा दिया जाएगा। यदि किसी आईटी सक्षम युवा को तैनात नहीं किया जा सकता है, तो सरकार प्रति माह 10,000 रुपये का बेरोजगारी भत्ता देगी।
सरकार इन प्रशिक्षित आईटी सक्षम युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में सुविधा प्रदान करेगी ताकि पात्र आवेदक को रोजगार मिल सके।
इस योजना के अंतर्गत संभावित कौशल एजेंसियां हरियाणा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड (हारट्रोन), हरियाणा नॉलेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचकेसीएल) और श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय (एसवीएसयू) या सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित कोई अन्य एजेंसी होंगी।
राज्य विश्वविद्यालय होने के नाते एसवीएसयू, हरियाणा कौशल विकास मिशन (एचएसडीएम) द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार, अभ्यर्थियों को उत्तीर्णता प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए जिम्मेदार होगा।
मंत्रिमंडल ने हरियाणा ग्राम साझी भूमि (विनियमन) अधिनियम, 1961 में और संशोधन करने के लिए अध्यादेश लाने को भी मंजूरी प्रदान की।
प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, ‘शामलात देह’ में भूमि का स्वामित्व, जो पूर्वी पंजाब भूमि उपयोग अधिनियम 1949 के तहत 20 वर्षों के लिए पट्टे के आधार पर आवंटित किया गया था और उक्त भूमि मूल आवंटी, हस्तांतरिती या उनके कानूनी उत्तराधिकारी के कृषि कब्जे में रही है, को तत्काल प्रभाव से ‘शामलात देह’ के दायरे से बाहर रखा जाएगा।
इसके अतिरिक्त, यह भी प्रस्ताव है कि मूल पट्टेदार, हस्तान्तरितकर्ता या उनके कानूनी उत्तराधिकारी को स्वामित्व अधिकारों के हस्तांतरण के लिए संबंधित ग्राम पंचायत को एक राशि का भुगतान करना होगा।
यह राशि कब्जाधारक के आवेदन पर कलेक्टर द्वारा निर्धारित की जाएगी। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इससे राज्य के हजारों किसानों को लाभ होगा जो दशकों से ऐसी जमीनों पर खेती कर रहे हैं।
इसके अलावा, ऐसी पंचायती जमीन का स्वामित्व गांव के उन निवासियों को बिक्री के माध्यम से हस्तांतरित किया जाएगा, जिन्होंने 31 मार्च, 2004 को या उससे पहले अपने घरों का निर्माण किया है, अधिकतम 500 वर्ग गज तक, जिसमें खुली जगह भी शामिल है, बाजार शुल्क से कम दर पर। प्रवक्ता ने कहा कि इससे पंचायतों को उन पुराने मामलों को नियमित करने में मदद मिलेगी, जहां पंचायती जमीन पर घरों का निर्माण किया गया है और साथ ही, जमीन की ऐसी बिक्री से पंचायतों की आय में भी वृद्धि होगी। प्रवक्ता ने कहा कि इससे राज्य भर की विभिन्न अदालतों में लंबित कई मुकदमे भी खत्म हो जाएंगे।