मथुरा, 8 अप्रैल । सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में सुनवाई होगी। कृष्ण जन्मभूमि से जुड़े दो मामलों में पहला मामला मस्जिद कमेटी द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने से जुड़ा था, जिसमें कोर्ट ने एएसआई और केंद्र सरकार को पक्ष बनाने का हिंदू पक्ष का अनुरोध स्वीकार कर लिया था। हालांकि, मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी और कोर्ट ने मामले को 8 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया था।
मुस्लिम पक्ष ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) और केंद्र सरकार को पार्टी न बनाए जाने का विरोध किया है। इसके अलावा मुस्लिम पक्ष ने श्री कृष्ण जन्मभूमि से संबंधित सभी केस की एक साथ सुनवाई करने का भी विरोध किया है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष अपनी दलील रखेगा।
श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद के पक्षकार एवं श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में कोर्ट नंबर-1 में सुनवाई होनी है। शाही ईदगाह के पक्ष द्वारा एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें विशेष रूप से उनका कहना है कि एएसआई और केंद्र सरकार को पार्टी न बनाया जाए। क्योंकि, उन्हें डर है कि अगर उन्हें पार्टी बनाया गया तो यहां पर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू नहीं होगा। जबकि, हाईकोर्ट का निर्देश है कि एएसआई और केंद्र सरकार को इसमें पार्टी बनाया जाए।
उन्होंने आगे कहा कि हाईकोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में ईदगाह मस्जिद की ओर से चुनौती दी गई। आज कोर्ट में हम अपना पक्ष रखेंगे और बताएंगे कि इस मामले में एएसआई और केंद्र सरकार को पार्टी बनाने का फैसला बिल्कुल सही है। मुस्लिम पक्ष के लोग नहीं चाहते हैं कि इस पर सुनवाई हो, इसलिए बार-बार नई याचिका दायर कर चुनौती देते हैं।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्री श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़े दो मामले सुप्रीम कोर्ट में लगाए गए थे। पहले मामले में इलाहाबाद कोर्ट के ऑर्डर को मस्जिद कमेटी द्वारा चुनौती दी गई थी। इस मामले में हिंदू पक्ष की ओर से संशोधन आवेदन दाखिल किया गया था। हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट से मांग की थी कि इस मामले में एएसआई और केंद्र सरकार को पक्ष बनाया जाए। हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की इस मांग को स्वीकृति दी थी। हाईकोर्ट के उस ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष द्वारा चुनौती दी गई।