हिमाचल प्रदेश सरकार ने मंगलवार को विमल नेगी मौत मामले में अनुशासनहीनता के आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए डीजीपी अतुल वर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ओंकार शर्मा और शिमला एसपी संजीव गांधी को छुट्टी पर भेज दिया। तीनों को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने की संभावना है।
वर्मा 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं और डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी अशोक तिवारी को दिया गया है, जो वर्तमान में डीजीपी (सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) के पद पर तैनात हैं।
उच्च न्यायालय ने हाल ही में नेगी के परिवार द्वारा दायर याचिका पर मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया था। हिमाचल प्रदेश विद्युत निगम लिमिटेड के मुख्य अभियंता नेगी 10 मार्च को लापता हो गए थे और उनका शव 18 मार्च को बिलासपुर में गोविंद सागर झील में मिला था।
छुट्टी के आदेश वर्मा के लिए मुसीबत बन सकते हैं, जिन्होंने हाईकोर्ट में अपने हलफनामे में एक पेन ड्राइव के गायब होने का खुलासा किया था, जिसके बारे में उनका दावा था कि उसे केस रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बनाया गया था और उसे फॉर्मेट कर दिया गया था। संभावित कानूनी लड़ाई के कारण उन्हें अपनी पेंशन और अन्य लाभ प्राप्त करना और भी मुश्किल हो सकता है।
एसीएस शर्मा से गृह और राजस्व समेत सभी विभाग वापस ले लिए गए हैं और उन्हें दूसरे अधिकारियों को दे दिया गया है। उन्होंने मामले की जांच के लिए तथ्यान्वेषी दल का नेतृत्व किया था।
2013 बैच के आईपीएस अधिकारी सोलन के एसपी गौरव सिंह को शिमला के एसपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
डीजीपी वर्मा और एसीएस शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने इस मामले में एडवोकेट जनरल अनूप रतन से जांच कराए बिना ही हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया। एसपी गांधी ने बाद में डीजीपी वर्मा के स्टाफ पर ड्रग तस्करी गिरोह से संबंध होने का आरोप लगाया था। डीजीपी ने एसपी गांधी के निलंबन की सिफारिश करके प्रतिक्रिया दी थी।
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