हिमाचल प्रदेश के डीजीपी अतुल वर्मा ने रविवार को शिमला के एसपी संजीव कुमार गांधी को “घोर कदाचार, अवज्ञा और कर्तव्य में लापरवाही” के लिए तत्काल निलंबित करने की सिफारिश की। यह घटना एसपी गांधी द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर डीजीपी वर्मा के स्टाफ पर ड्रग तस्करों से संबंध रखने का आरोप लगाने के एक दिन बाद हुई है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) के साथ-साथ मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के निजी सचिव सुखविंदर सिंह सुक्खू को लिखे पत्र में डीजीपी ने यह भी कहा कि शिमला के एसपी को विमल नेगी मौत मामले की विस्तृत विभागीय जांच और सीबीआई जांच के नतीजे आने तक पुलिस मुख्यालय को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।
पत्र में कहा गया है कि एसएसपी ने मुख्य सचिव सहित वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों तथा एक संवैधानिक अधिकारी के विरुद्ध अनुचित एवं निराधार आरोप लगाए हैं, जो कदाचार एवं अवज्ञा के समान है।
डीजीपी ने कहा, “उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के संबंध में असत्यापित और संभावित रूप से पूर्वाग्रहपूर्ण बयान भी दिए हैं, जो वर्तमान में सक्रिय जांच के अधीन है। इन कार्रवाइयों से केंद्र और राज्य सरकार के बीच संबंधों में तनाव पैदा होने की संभावना है।”
पत्र में आगे कहा गया है कि एसएसपी की ये कार्रवाई अखिल भारतीय सेवा (एआईएस) आचरण नियम, 1968 के नियम 3(1) और नियम 7 का उल्लंघन है, जिसके तहत सेवा का प्रत्येक सदस्य पूर्ण निष्ठा और कर्तव्य के प्रति समर्पण बनाए रखेगा और ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जो सेवा के सदस्य के लिए अनुचित हो।
इसके अलावा, अधिकारी का आचरण हिमाचल प्रदेश पुलिस अधिनियम, 2007 की धारा 87 में परिभाषित कदाचार की श्रेणी में भी आता है। कोई भी पुलिस अधिकारी जो किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा दिए गए किसी आदेश के प्रति कर्तव्य के उल्लंघन या जानबूझकर उपेक्षा का दोषी पाया जाता है, उसे अधिनियम के तहत निर्धारित दंड दिया जाएगा।
एसपी गांधी ने शनिवार को दावा किया था कि विमल नेगी की मौत के मामले में एसआईटी जांच के संबंध में डीजीपी द्वारा हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर की गई स्थिति रिपोर्ट गैरजिम्मेदाराना और व्यक्तिगत प्रतिशोध का परिणाम है।
उन्होंने डीजीपी के स्टाफ पर संजय भूरिया गैंग से संबंध रखने और सीआईडी के गोपनीय दस्तावेजों के लीक होने की जांच में दखल देने का आरोप लगाया था। एसएसपी ने पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, शिमला के पूर्व डीसी और धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा पर भी गंभीर आरोप लगाए थे।
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