राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कल कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई तेज करने की जरूरत है और युवाओं को नशीले पदार्थों के चंगुल से दूर करने के लिए नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए।
शुक्ला ने यहाँ पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी को बचाने के लिए नशे के खिलाफ अभियान को एक जन आंदोलन के रूप में युद्धस्तर पर चलाया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “कुल्लू में रेडक्रॉस द्वारा संचालित केवल एक पुनर्वास केंद्र है। सभी क्षेत्रों में नशामुक्ति केंद्र स्थापित करना राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है। मुझे पता चला है कि सरकार सिरमौर ज़िले में एक नशामुक्ति केंद्र के लिए ज़मीन तलाश रही है।”
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपने स्तर पर नशे के खिलाफ काम कर रही है, लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान को आगे बढ़ाते हुए, इस बुराई के खिलाफ लड़ाई शुरू करने के लिए राजभवन से बाहर कदम रखा है। उन्होंने आगे कहा, “अपने हालिया वाराणसी दौरे के दौरान, मैंने केंद्र सरकार के एक कार्यक्रम ‘नशा मुक्त युवा और विकसित भारत’ में भाग लिया था और इसलिए हिमाचल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नशा मुक्त भारत के नारे का हिस्सा बनना चाहिए।”
राज्यपाल ने कहा, “मैंने सभी विधायकों को पत्र लिखे हैं, क्योंकि मुझे लगता है कि उन्हें नशामुक्त हिमाचल के अभियान को प्राथमिकता देनी चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने पंचायती राज प्रतिनिधियों, महिला मंडलों को शामिल करके, जनसभाओं और खेल आयोजनों के माध्यम से हिमाचल में नशे के खिलाफ यह अभियान शुरू किया है। उन्होंने दावा किया कि अब सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों ने अपने प्रवेश पत्र में छात्रों से यह शपथ पत्र लिखवाया है कि वे नशा नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वे नशे के उन्मूलन के लिए आयोजित किसी भी कार्यक्रम में शामिल होंगे। शुक्ला ने आगे कहा कि देश की लगभग 63 प्रतिशत आबादी युवा है और उनमें से 38 प्रतिशत 35 वर्ष से कम आयु के हैं, जिन्हें नशे से बचाया जाना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में 340 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2012 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की संख्या लगभग 500 थी, जबकि 2023 में यह बढ़कर 2,200 हो जाएगी।