नई दिल्ली, 27 सितंबर। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार जब केंद्र में थी तो एक नाम सुर्खियों में था। वाजपेयी साहब के साथ हमेशा नजर आने वाले, सरकार की हर बैठक में जिन्हें देखा जाता था। नाम था ब्रजेश मिश्र, जिन्हें प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का संकटमोचक भी कहा जाता था।
वो भले ही एक राजनयिक रहे, लेकिन राजनीति से भी उनका गहरा नाता था। उनके पिता द्वारका प्रसाद मिश्र मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। ऐसे में राजनीति का ककहरा तो उन्होंने अपने जीवन में पिता से ही पढ़ लिया था। पिता कांग्रेस पार्टी के कट्टर समर्थक और नेता था, इंदिरा गांधी के बहुत करीबी माने जाते थे। लेकिन, ब्रजेश मिश्र को अटल जी की विचारधारा बहुत अच्छी लगी।
अप्रैल 1991 में ब्रजेश मिश्र ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया और वह राजनीति में आ गए। इसके बाद मार्च 1998 में प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव बनने के लिए उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के दौरान उन्होंने विदेश नीति को एक नई दिशा दी और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में संकटमोचक की भूमिका भी निभाते रहे।
ब्रजेश मिश्र, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मुख्य सचिव बनने से पहले विदेश मंत्रालय के सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में काम किया था। साल था 1999 का, जब भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल का युद्ध चल रहा था इस दौरान मिश्र ने वाजपेयी सरकार को कई महत्वपूर्ण सलाह दिए। 2004 में जब राजग सरकार सत्ता से बेदखल हो गई तो ब्रजेश मिश्र ने भी राजनीति से दूरी बना ली और भाजपा से दूर हो गए।
1998 में भारत ने जब परमाणु परीक्षण किया था और भारत के खिलाफ कई देश सामने आ खड़े हुए थे तो ऐसे में ब्रजेश मिश्र ही थे, जिन्होंने अपने राजनयिक प्रयासों से दुनिया भर के विरोध कर रहे देशों के बीच भारत के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया था। चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों को बेहतर बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। वह चीन के साथ लंबित सीमा विवाद के हल की प्रक्रिया के लिए चीन के साथ वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि थे।
ब्रजेश मिश्र राजनयिक के रूप में संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि एवं इंडोनेशिया में राजदूत के रूप में अपनी सेवा भी दे चुके थे। नवंबर 1998 में वह देश के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने और इस पद पर उन्होंने 23 मई 2004 तक सेवा दी। 2011 में उन्हें पद्म विभूषण (दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) से सम्मानित किया गया था।
29 सितंबर 1928 को मध्यप्रदेश में जन्मे ब्रजेश मिश्र का 28 सितंबर 2012 को नई दिल्ली में दिल की बीमारी की वजह से निधन हो गया।
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