पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा याचिकाएं खारिज किए जाने के बाद हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने यमुनानगर जिले में 64 स्टोन क्रशरों को कारण बताओ नोटिस जारी कर उन्हें बंद करने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
उच्च न्यायालय ने 29 नवंबर, 2024 को यमुनानगर और हरियाणा के अन्य जिलों के स्टोन क्रशर मालिकों द्वारा दायर 27 रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इन याचिकाओं में हरियाणा सरकार की 11 मई, 2016 की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी, जिसमें स्टोन क्रशरों के लिए सख्त साइटिंग मानदंडों को रेखांकित किया गया था।
अधिसूचना में निकटतम गांव की परिधि (फिरनी/लाल डोरा) से न्यूनतम 1 किमी की दूरी और सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किसी भी वन भूमि से 0.5 किमी की दूरी अनिवार्य की गई थी। कथित तौर पर संबंधित स्टोन क्रशर इन मापदंडों को पूरा करने में विफल रहे।
एचएसपीसीबी के सहायक पर्यावरण अभियंता अभिजीत सिंह तंवर ने कहा, “ये 64 स्टोन क्रशर 11 मई, 2016 की अधिसूचना में उल्लिखित मापदंडों को पूरा नहीं कर रहे थे।”
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, जो किसी भी पेशे का अभ्यास करने या किसी भी व्यवसाय का संचालन करने के अधिकार की गारंटी देता है। उन्होंने तर्क दिया कि उनके संचालन को बंद करने से सैकड़ों श्रमिकों के लिए रोजगार खत्म हो जाएगा और किए गए पूंजी निवेश के कारण वित्तीय नुकसान होगा।
इन तर्कों के बावजूद, उच्च न्यायालय ने याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिससे एचएसपीसीबी के लिए गैर-अनुपालन करने वाले स्टोन क्रशरों के खिलाफ कार्रवाई करने का रास्ता साफ हो गया।
यमुनानगर स्थित एचएसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी वीरेंद्र सिंह पुनिया ने बताया कि 64 स्टोन क्रशरों को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 31-ए के तहत बंद करने तथा वायु अधिनियम के तहत संचालन की सहमति रद्द करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
स्टोन क्रशर मालिकों को अधिसूचना में उल्लिखित स्थल निर्धारण मानदंडों के अनुपालन को दर्शाने वाली विस्तृत अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है।
यह कदम हरियाणा में पर्यावरण मानदंडों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए HSPCB के तीव्र प्रयासों का हिस्सा है। राज्य के अन्य जिलों में भी इसी तरह की कार्रवाई किए जाने की उम्मीद है।
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