N1Live National ‘मैं आर्किटेक्ट बनना चाहता था, वकील बनकर पिता का सपना पूरा किया,’ अभिनंदन समारोह में बोले सीजेआई बीआर गवई
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‘मैं आर्किटेक्ट बनना चाहता था, वकील बनकर पिता का सपना पूरा किया,’ अभिनंदन समारोह में बोले सीजेआई बीआर गवई

'I wanted to become an architect, I fulfilled my father's dream by becoming a lawyer,' said CJI BR Gavai at the felicitation ceremony

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई के सम्मान में बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से शनिवार को अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। इस सम्मान समारोह में बीआर गवई ने अपने 40 साल के वकालत के करियर के बारे में कहा कि मैं वे वकील नहीं बनना चाहते थे। उनका सपना आर्किटेक्ट बनने का था।

अभिनंदन समारोह में उन्होंने ‘बार काउंसिल’ का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि यह समारोह भारत में विविधता की सच्ची तस्वीर है। हमारा संविधान हमारे देश की विविधता के लिए बहुत उपयुक्त है। हमारे देश में क्षेत्रीय, भौगोलिक, आर्थिक विविधता है। जब मैं अपनी 40 साल की यात्रा पर विचार करता हूं, तो पाता हूं कि मैं अपनी इच्छा से वकील नहीं बना। मैं पहले आर्किटेक्ट बनना चाहता था। मैं आज भी अपने उस पैशन को फॉलो करता हूं क्योंकि मैं बॉम्बे हाई कोर्ट की इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी का अध्यक्ष था।

उन्होंने कहा कि मेरे पिता ने सामाजिक क्रांति के लिए बीआर अंबेडकर के आंदोलन में भाग लिया। स्नातक होने के बाद, वह वकील बनना चाहते थे, लेकिन जेल में रहने के कारण वह एलएलबी की परीक्षा नहीं दे सके। इसलिए, वह चाहते थे कि उनका एक बेटा वकील बने। मैंने उनके सपने को पूरा किया।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश गवई ने हाल ही में कहा कि सीजेआई की भूमिका संस्था के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण की मांग करती है। सीजेआई के कर्तव्य केवल सर्वोच्च न्यायालय तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पूरे देश में संपूर्ण न्यायिक प्रणाली तक फैले हुए हैं। पूरे कानूनी समुदाय की ओर से, मैं उन्हें दूरदर्शी लक्ष्यों की पूर्ति के लिए पूर्ण सहयोग और प्रतिबद्धता का आश्वासन देता हूं। मैं राष्ट्र और हमारी न्यायिक प्रणाली के लिए न्यायमूर्ति गवई की सेवा के लिए उनके प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।

बता दें कि 14 मई को जस्टिस बीआर गवई ने भारत के 52वें सीजीआई के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। सीजीआई संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो गया था। उनका कार्यकाल सिर्फ सात महीने का है।

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