July 14, 2025
National

हेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मोल समझें

In the hate speech case, the Supreme Court said, understand the value of freedom of expression

सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने वाले वजाहत खान की याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने विवादास्पद पोस्ट पर चिंता जताई है।

सुप्रीम कोर्ट ने लोगों के लिए सोशल मीडिया पोस्ट पर गाइडलाइन की जरूरत बताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिक स्वयं संयम क्यों नहीं रख सकते? लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मोल समझना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो राज्य हस्तक्षेप करेगा और कोई नहीं चाहता कि राज्य हस्तक्षेप करे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उचित प्रतिबंध सही है, यह 100 प्रतिशत पूर्ण अधिकार नहीं हो सकता है, लेकिन नागरिक इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर रहे हैं। वे बस एक बटन दबाते हैं और सब कुछ ऑनलाइन पोस्ट हो जाता है। ऐसे मामलों से क्यों अदालतें पटी पड़ी हैं। नागरिकों के लिए क्यों न दिशा निर्देश हों। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने तीन अन्य राज्यों में वजाहत खान को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण की अवधि बढ़ा दी।

बता दें कि वजाहत खान के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने और धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में कई राज्यों में एफआईआर दर्ज है। वजाहत खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर देश के विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग की थी। साथ ही उन्होंने अन्य राज्यों में संभावित गिरफ्तारी से सुरक्षा की गुहार लगाई थी।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वजाहत खान की पश्चिम बंगाल के बाहर दर्ज मामलों में गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया था। वजाहत खान की ओर से पेश वकील ने अदालत में सोशल मीडिया पोस्ट्स के लिए माफी मांगी थी।

वकील ने कहा था कि पोस्ट हटाने के बाद भी धमकियां मिल रही हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वजाहत खान को नसीहत देते हुए कहा था कि आग से जला हुआ घाव समय के साथ भर सकता है, लेकिन शब्दों से किया गया घाव कभी नहीं भरता।

वजाहत पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हिंदू धर्म के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप है। इसके बाद उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196(1)(ए), 299, 352 और 353(1)(सी) के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

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