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मध्य प्रदेश में आयोगों की निष्क्रियता सामाजिक न्याय पर प्रहार: उमंग सिंघार

Inaction of commissions in Madhya Pradesh is an attack on social justice: Umang Singhar

मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विभिन्न आयोगों की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि आयोगों की निष्क्रियता सामाजिक न्याय पर गहरा प्रहार है

राज्य के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने एक बयान जारी कर राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा और उनके उत्पीड़न को रोकने के लिए प्रदेश में कई आयोग बनाए गए जो भाजपा के कार्यकाल में 2016-17 से निष्क्रिय हो चुके हैं।

उन्होंने अपने बयान में कहा है कि राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग, राज्य अनुसूचित जाति आयोग, राज्य महिला आयोग, राज्य अल्पसंख्यक आयोग, बाल अधिकार संरक्षण आयोग, मानव अधिकार आयोग, सूचना आयोग आदि ऐसे आयोग हैं जो निष्क्रिय हैं। इन आयोगों में नियुक्तियां ही नहीं हो रही हैं।

नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा कि यह आयोग एक कोर्ट की तरह काम करते हैं, जिनके पास सिविल कोर्ट की शक्तियां होती हैं। यह शिकायतों को सुनते हैं और बिना खर्च एवं बिना किसी कोर्ट या पुलिस को शामिल किए उसका निपटारा करते हैं। इस आयोग में एक अध्यक्ष होता है और उसके पांच सदस्य। इसके साथ यह आयोग विभिन्न विभागों की शिकायत की जांच कर सकते हैं, शिकायतकर्ता को संबल देते हैं, और उसके निष्पादन के लिए सरकार को आदेशित करते हैं।

नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा कि भाजपा सरकार ने इन आयोगों का भट्टा बैठा दिया है, जो सामाजिक न्याय पर एक गहरा प्रहार है। इन आयोगों की स्थिति इतनी दयनीय है कि ये न तो पीड़ितों की आवाज सुन पा रहे हैं और न ही उनके लिए कोई ठोस कार्रवाई कर पा रहे हैं। यहां तक कि राज्य के कुल आठ प्रमुख आयोगों में से केवल पिछड़ा वर्ग आयोग, सूचना आयोग और मानवाधिकार आयोग में ही अध्यक्ष नियुक्त हैं, लेकिन इनमें भी सदस्यों की भारी कमी है। शेष पांच आयोग वर्षों से बिना अध्यक्ष और सदस्यों के एवं बिना कर्मचारियों के संचालित हो रहे हैं। यह स्थिति ऐसी है जैसे बिना न्यायाधीश का न्यायालय।

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