महाराष्ट्र में भाषा को लेकर विवाद थमता नजर नहीं आ रही है। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितेश राणे ने कहा है कि मदरसों में उर्दू की जगह मराठी पढ़ाई जानी चाहिए। उनके इस बयान की एनसीपी (एसपी) ने आलोचना की है। महाराष्ट्र के एनसीपी (एसपी) अध्यक्ष शशिकांत शिंदे ने कहा कि नितेश राणे समाज में विभाजन पैदा करने के लिए गलत बयान देते हैं।
महाराष्ट्र के एनसीपी (एसपी) अध्यक्ष शशिकांत शिंदे ने नितेश राणे के बयान पर आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “ये गृह मंत्रालय का काम है और अगर किसी मंत्री को कुछ कहना है, तो उस पर कैबिनेट या मंत्रिस्तरीय मंचों पर चर्चा होनी चाहिए, न कि सार्वजनिक बयान देकर। उनका यह बयान गलत है, वे समाज में विभाजन पैदा करके सत्ता में बने रहना चाहते हैं। ऐसे बयानों से उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन समाज में दूरियां बढ़ती हैं और इसके परिणाम सही नहीं होते हैं।”
एनसीपी (एसपी) का महाराष्ट्र अध्यक्ष चुने जाने पर शशिकांत शिंदे ने कहा, “पार्टी आलाकमान ने मुझे यह जिम्मेदारी सौंपी है। मैं ईमानदारी से काम करना चाहता हूं और नए जोश के साथ पार्टी के पुनर्निर्माण के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगा, ताकि पार्टी को मजबूत किया जा सके। मैं पहले महाराष्ट्र के पार्टी नेताओं के साथ बैठक करूंगा और उसके बाद महाराष्ट्र का भी दौरा करूंगा।”
शशिकांत शिंदे ने महाराष्ट्र की कानून-व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र में तीन दलों की सरकार है और मुझे लगता है कि उनको कानून-व्यवस्था को गंभीरता से लेना चाहिए।”
वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद सदस्य इदरीस नाइकवाड़ी ने नितेश राणे के बयान पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि वह अपनी जिम्मेदारी समझते हैं या नहीं, लेकिन ऐसे बयान जिम्मेदारी की भावना से दिए जाने चाहिए। महाराष्ट्र में अब तक कोई ऐसा मदरसा नहीं मिला है कि वहां से बम या कोई घातक चीजें मिली हों। अगर ऐसा कुछ होता तो कहा जा सकता था कि हमें अलर्ट रहना चाहिए। मुझे लगता है कि अल्पसंख्यकों को बदनाम करने का एक मिशन चलाया जा रहा है।”