बठिंडा : लंबित मांगों को पूरा नहीं करने को लेकर किसानों का ‘अनिश्चितकालीन आंदोलन’ सोमवार को लगातार छठे दिन भी जारी रहा। मानसा, बठिंडा, पटियाला, फरीदकोट, मुकेरियां और अमृतसर समेत छह जिलों में बड़ी संख्या में किसानों ने राजमार्ग जाम कर दिए।
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के एक नेता गुरचरण सिंह भिखी ने कहा, ‘आप राज्य में बदलाव का हवाला देकर सत्ता में आई, लेकिन अन्य राजनीतिक दलों की तरह इसने राज्य के लोगों को निराश किया है। राज्य सरकार ने कॉर्पोरेट घरानों की कठपुतली बनने का फैसला किया है, लेकिन उसे लोगों के गुस्से का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के एक अन्य नेता लखबीर सिंह ने कहा, “कपास की फसल के नुकसान के कारण नुकसान उठाने वाले किसानों को मुआवजा देने के बड़े-बड़े वादे करने के बावजूद राज्य सरकार ऐसा करने में विफल रही है। जिन परिवारों के सदस्यों की कृषि आंदोलन के दौरान मृत्यु हो गई, उन्हें मुआवजा या सरकारी नौकरी नहीं दी गई है। इस सीजन में बेमौसम बारिश से धान की फसल खराब हो गई थी, लेकिन उसका भी कोई मुआवजा नहीं दिया गया। धान की पराली जलाने के लिए किसानों के खिलाफ दर्ज मामले और उनके राजस्व रिकॉर्ड में ‘लाल’ प्रविष्टि को रद्द किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “एक महीने से अधिक समय हो गया है जब से किसान मनसा उपायुक्त कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है। इसलिए प्रशासन और राज्य सरकार के उदासीन रवैये को देखते हुए हमारे पास अब अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। यह तब तक जारी रहेगा जब तक कि हमारी लंबे समय से चली आ रही मांगें पूरी नहीं हो जातीं।”