July 17, 2025
Entertainment

भारत की बांग्लादेश में फिल्मकार सत्यजीत रे के पुश्तैनी घर को बचाने की पहल, तोड़फोड़ पर जताई आपत्ति

India takes initiative to save filmmaker Satyajit Ray’s ancestral home in Bangladesh, objects to demolition

बांग्लादेश में फिल्मकार सत्यजीत रे से जुड़े 200 साल पुराने पुश्तैनी घर को गिराने की जमकर आलोचना हो रही है, जिसके बाद स्थानीय अधिकारियों को काम अस्थायी रूप से रोकना पड़ा है।

हरिकिशोर रॉय रोड पर स्थित और सत्यजीत रे के दादा उपेंद्रकिशोर रे से जुड़ी इस ऐतिहासिक एक मंजिला इमारत को मयमनसिंह जिला बाल अकादमी की ओर से गिराया जा रहा था। यहां नई इमारत बनाने के लिए पुरानी इमारत गिराई जा रही है। इस पर हेरिटेज एक्टिविटी, पुरातत्व विभाग और भारत सरकार ने आपत्ति जताई।

लोकल जर्नलिस्ट ने कहा कि सरकार अब यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि यह घर सत्यजीत रे के परिवार का नहीं है, लेकिन इतिहास कुछ और ही कहानी कहता है। यह घर मूलरूप से मैमनसिंह के मुक्तागचा जमींदारी के संस्थापक श्रीकृष्ण आचार्य के वंशज, जमींदार शशिकांत आचार्य के स्टाफ के लिए बनाया गया था, जिसका सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है।

मैमनसिंह के कटियाडी के एक प्रसिद्ध जमींदार हरिकिशोर रे, बंगाली बाल साहित्य के अग्रदूत उपेंद्रकिशोर रे चौधरी, उनके बेटे सुकुमार रे और पोते सत्यजीत रे के पूर्वज थे। हरिकिशोर ने पांच साल की उम्र में उपेंद्र किशोर को गोद लिया था। उन्होंने मैमनसिंह में अपनी शिक्षा शुरू की और 1880 में मैमनसिंह जिला स्कूल से छात्रवृत्ति के साथ प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की।

जिले के बाल मामलों के अधिकारी मोहम्मद मेहदी जमान के अनुसार, संरचना को वर्षों पहले परित्यक्त घोषित कर दिया गया था और 2010 के बाद यह अनुपयोगी हो गई थी। हम एक किराए के भवन से काम कर रहे हैं, जिसके लिए हमें मासिक 47,000 टका (बांग्लादेशी रुपए) का भुगतान करना पड़ता है, जो सरकार पर एक महत्वपूर्ण वित्तीय बोझ है। मरम्मत की कोशिश विफल रही और इमारत को असुरक्षित माना गया।

उन्होंने कहा कि मेसर्स मयूर बिल्डर्स द्वारा किए गए विध्वंस का उद्देश्य संरचना को एक अर्ध स्थायी सुविधा में बदलना था, जिसमें बाद में पांच मंजिला इमारत बनाने की योजना थी।

हालांकि, इस कदम की तीखी आलोचना हुई है। फील्ड ऑफिसर सबीना यास्मीन के नेतृत्व में पुरातत्व विभाग ने औपचारिक रूप से चिल्ड्रन्स अकादमी से विवरण का अनुरोध किया है, जिसमें घर के ऐतिहासिक मूल्य पर प्रकाश डाला गया है।

यास्मीन ने कहा, “इसे अभी तक पुरातात्विक स्थल के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया गया है और सोशल मीडिया पर आलोचना की बाढ़ आ गई है, इंटरनेट यूजर, साहित्यकार और विरासत प्रेमी रे परिवार की विरासत से जुड़े इस स्थल को ढहाने के फैसले की कड़ी निंदा कर रहे हैं।

भारत सरकार ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है और बांग्लादेश को एक पत्र भेजकर विध्वंस रोकने एवं जीर्णोद्धार के लिए समर्थन की पेशकश की है। मीडिया रिपोर्ट्स में आंशिक विध्वंस की खबर आने के बाद यह मुद्दा तूल पकड़ा है, जिसमें आधा सामने का हिस्सा पहले ही ढहा दिया गया था और मलबा बिखरा हुआ था। जब मंगलवार को स्थल का दौरा किया गया तो कोई भी मजदूर नहीं दिखा, जो बढ़ते विरोध के बीच काम में रुकावट का संकेत देता है।

जिला प्रशासन ने इस घर को सीधे सत्यजीत रे से जोड़ने वाले दावों से खुद को अलग कर लिया है और दावा किया है कि यह घर जमींदार शशिकांत का था। हालांकि, स्थानीय लोग इससे असहमत हैं।

एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बात करते हुए इस विध्वंस को बांग्लादेश और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंधों को मिटाने की एक ‘सुनियोजित योजना’ का हिस्सा बताया और इसकी तुलना बंगबंधु के आवास जैसे विरासत स्थलों पर हुए पिछले विवादों से की।

एडिशनल डिप्टी कमिश्नर रेजा मोहम्मद गुलाम मासूम प्रोधान ने कहा कि प्रशासन ने दस्तावेजों की समीक्षा और आगे की कार्रवाई तय करने के लिए चिल्ड्रन्स अकादमी को बुलाया है। हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि तोड़फोड़ की मंजूरी कैसे मिली और क्या किया जा सकता है?

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