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भारतीय फिल्म निर्माता नंदिता दास ने भारत-चीन फिल्म सहयोग पर चर्चा की

बीजिंग, भारत की जानी-मानी फिल्म निर्माता और एक्टर नंदिता दास ने हाल ही में जूरी सदस्य के रूप में 25वें शांगहाई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में भाग लेने के लिए चीन की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शांगहाई शहर का दौरा किया।

चीन की प्रमुख मीडिया संस्थानों में एक, चाइना मीडिया ग्रुप (सीएमजी) के साथ एक विशेष इंटरव्यू में उन्होंने शांगहाई शहर के बारे में अपने विचार साझा किए और भारत-चीन सहयोग को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक अंतराल को पाटने में सिनेमा की शक्ति पर अपने
विचार व्यक्त किए।

नंदिता दास, जो “फिराक” और “मंटो” जैसी समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्मों के लिए जानी जाती हैं, ने पहली बार शांगहाई जाने के बारे में अपना उत्साह और खुशी जाहिर की। उन्होंने शागंहाई शहर में पुराने और आधुनिक तत्वों के अद्भुत मिश्रण पर प्रकाश डाला और
भारत के मुंबई शहर से तुलना की। उन्होंने कहा, “शांगहाई एक जीवंत टेपेस्ट्री की तरह है, जो मुंबई की तरह ही परंपरा और नवीनता का सहज मिश्रण है।”

भारतीय फिल्म निर्माता विशेष रूप से शांगहाई के पाक व्यंजनों और वहां के लोगों के गर्मजोशी भरे आतिथ्य से प्रभावित हुईं। उन्होंने अपने प्रवास के दौरान मिले सकारात्मक अनुभवों पर जोर देते हुए कहा, “यहां का खाना अद्भुत है और लोग अविश्वसनीय रूप से
मिलनसार हैं।”

शांगहाई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में जूरी सदस्य के रूप में नंदिता दास ने साथी जूरी सदस्यों के साथ मिलकर फिल्में देखने और चर्चा में शामिल होने के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने इंटरव्यू में बताया कि प्रतियोगिता में शामिल फिल्मों का मूल्यांकन करते समय,
फिल्म की कहानी, फिल्मांकन तकनीक, अभिनय, ध्वनि डिजाइन, संपादन और प्रकाश व्यवस्था जैसे विभिन्न तत्वों पर विचार किया जाता है।

भारतीय फिल्म निर्माता नंदिता दास ने फिल्म निर्माताओं, उत्साही और विविध दर्शकों को एकजुट करने में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवलों के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने उन्हें ऐसे मंच के रूप में वर्णित किया जहां स्वतंत्र फिल्मों को पहचान मिलती है और सिनेमा की
सीमाओं को फिर से परिभाषित किया जाता है।

इसके अलावा, उन्होंने चीनी फिल्मों की सराहना की, जो देश की विभिन्न संस्कृतियों को प्रदर्शित करती हैं और मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।

भारत और चीन के बीच समानता दर्शाते हुए, सुश्री नंदिता दास ने दोनों देशों द्वारा साझा की जाने वाली सांस्कृतिक और सामाजिक समानताओं पर जोर दिया। उनका मानना था कि सिनेमा, सीमाओं को पार करने और लोगों के दिलों को छूने की अपनी क्षमता के साथ,
भारत-चीन सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में सांस्कृतिक आदान-प्रदान की क्षमता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, “सिनेमा एक शक्तिशाली माध्यम है जो सॉफ्ट पावर के
माध्यम से संस्कृतियों को जोड़ सकता है।”

इस इंटरव्यू में सुश्री दास ने अपना विश्वास व्यक्त किया कि संस्कृति, बाधाएँ पैदा करने के बजाय, लोगों के बीच पुल बनाती है। इंटरव्यू के दौरान, उन्होंने दोनों देशों के बीच आपसी प्रशंसा और विकास को बढ़ाने के लिए एक उपकरण के रूप में सिनेमा की शक्ति
का उपयोग करते हुए, भारत और चीन के बीच अधिक सहयोग और समझ की आशा व्यक्त की।

बता दें कि 25वां शांगहाई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल 9 से 18 जून तक हुआ, जिसमें 128 देशों और क्षेत्रों की लगभग 8,800 फिल्मों ने भाग लिया। यह एशिया का सबसे बड़ा फिल्म फेस्टिवल है, साथ ही चीन का सबसे पुराना अंतरराष्ट्रीय सिनेमा इंवेंट भी है।

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