लखनऊ, 16 मई । समाजवादी पार्टी के नेता उदयवीर सिंह ने मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह के इस्तीफा नहीं देने पर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए सपा नेता रामगोपाल वर्मा के बयान और पी. चिदंबरम के इंडी गठबंधन को लेकर दिए गए बयान पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी।
उदयवीर सिंह ने आईएएनएस से रामगोपाल वर्मा के दिए बयान पर कहा कि पहले भाजपा को बताना चाहिए कि कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई टिप्पणी के लिए उन्होंने अपने मंत्री विजय शाह पर क्या एक्शन लिया? सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक उन्हें संरक्षण नहीं दे रहे हैं। लेकिन भाजपा ने अभी तक उनका इस्तीफा नहीं लिया है। भाजपा विजय शाह पर कार्रवाई करने की जगह रामगोपाल वर्मा के बारे में बात कर रही है। रामगोपाल वर्मा ने यही कहा था कि देश के नायकों के भी जाति-धर्म को देखा जा रहा है। ऐसे ही विदेश सचिव को अपमानित किया गया। फिर कर्नल सोफिया को भी, और अगर ये लोग बाकी लोगों की जाति के बारे में जानते तो उन पर भी टिप्पणी करते और अपमानित करने से नहीं चूकते।
विजय शाह के बारे में बात करते हुए उदयवीर सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत देने से मना कर दिया था और हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया था। इसके बाद भी इस्तीफा नहीं लिया गया तो ये शर्मनाक और बेशर्मी की बात है। भारतीय जनता पार्टी बताए कि उतना क्यों संरक्षण दे रही है और इधर राष्ट्रवाद का पूरा ठेका और जिम्मेदारी भी भाजपा उठाना चाहती है। इधर देश के लिए जो लोग खड़े हैं उनका अपमान भी करना चाहती है।
कर्नाटक के विधायक के बयान पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है। ऐसे मामलों में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की ओर से जो कहा जाता है, वह अहम है। किसी विधायक के बोलने के मामले पर यही कहा जा सकता है कि वहां की राज्य सरकार इसे देखने में पूरी तरह सक्षम है।
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम के इंडी गठबंधन को दिए बयान पर सपा नेता ने कहा, “हम लोग गठबंधन में उन लोगों की बातों को सुनते हैं जो इंडिया ब्लॉक की कोआर्डिनेशन कमेटी में बैठते हैं। पी. चिदंबरम जी के बयान पर कांग्रेस क्या सोचती है यह उस पार्टी को देखना है।”
विश्व समुदाय में पाकिस्तान को एक्सपोज करने पर उन्होंने कहा कि सरकार को कश्मीर के मुद्दे पर अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए और इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी ने सरकार को समर्थन दिया है। हालांकि जिस तरह से सरकार ने पाकिस्तान मुद्दे पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अप्रत्यक्ष तौर पर स्वीकार किया है, उस पर और स्पष्टता की जरूरत है।
Leave feedback about this