भारतीय हिन्दी साहित्य की सुप्रसिद्ध लेखिका गीतांजलि श्री ने देश को सम्मान दिलाया है। उन्होंने इस वर्ष का इंटरनेशनल बुकर प्राइज जीत कर देश को गोर्वान्वित किया है। बता दें की अब की बार उनके उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ को इंटरनेशनल बुकर प्राइज मिला है।
कुछ ऐसा है गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’
इस उपन्यास में 80 साल की बुजुर्ग विधवा की कहानी है, जो 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद अपने पति को खो देती है। इसके बाद वह गहरे अवसाद में चली जाती है। काफी जद्दोजहद के बाद वह अपने अवसाद पर काबू पाती है और विभाजन के दौरान पीछे छूटे अतीत का सामना करने के लिए पाकिस्तान जाने का फैसला करती है। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित ‘रेत समाधि’ हिंदी की पहली ऐसी किताब है जिसने न केवल अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की लॉन्गलिस्ट और शॉर्टलिस्ट में जगह बनायी बल्कि गुरुवार की रात, लंदन में हुए समारोह में ये सम्मान अपने नाम भी किया।