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जमात-ए-इस्लामी हिंद ने कतर पर इजरायली हमले की निंदा की, कहा- यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन

Jamaat-e-Islami Hind condemned the Israeli attack on Qatar, said- it is a violation of international law

जमात-ए-इस्लामी हिंद ने कतर की राजधानी दोहा में एक आवासीय इमारत पर इजरायली हमले पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। जमात-ए-इस्लामी हिंद ने कहा है कि यह कतर की संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवीय मर्यादा के हर सिद्धांत का घोर उल्लंघन है।

जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने एक बयान में कहा कि यह हमला जानबूझकर उन नेताओं को निशाना बनाकर किया गया, जिनके साथ वार्ता चल रही थी। यह इजरायल के विश्वासघाती रवैये को उजागर करता है, जो एक तरफ बातचीत में शामिल होना और दूसरी तरफ हत्याएं और हिंसा को अंजाम देना है। इस तरह का छल न सिर्फ शांति प्रयासों को तोड़ता है, बल्कि कूटनीति का भी मजाक उड़ाता है।

बयान में कहा गया है, “इजरायल ने बार-बार अंतरराष्ट्रीय सीमाओं और कानूनी मानदंडों को रौंदा है। कतर पर यह हमला कोई सिर्फ उकसावा नहीं है, यह वैश्विक कानून की लगातार अवहेलना और फिलिस्तीन की सीमाओं से परे युद्ध फैलाने की उसकी लापरवाह कोशिश का हिस्सा है। ऐसे हर कृत्य से इजरायल यह दर्शाता है कि वह एक दुष्ट राज्य है और विश्व शांति के लिए एक गंभीर खतरा है।”

सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने कहा, “लगभग दो सालों से इजरायल ने गाजा, लेबनान, सीरिया, यमन और पश्चिमी तट पर अभियान चलाया है, निर्दोषों का कत्लेआम किया है और मध्य पूर्व को अस्थिर किया है। अब, कतर, जो एक तटस्थ मध्यस्थ है, को भी अपनी हिंसा के क्षेत्र में घसीटकर इजरायल ने दिखा दिया है कि कोई भी राज्य उसके आक्रमण से सुरक्षित नहीं है। वह इतना बेखौफ होकर सिर्फ इसलिए ऐसा करता है, क्योंकि उसे अमेरिका का पूरा समर्थन मिला हुआ है, जिसकी मिलीभगत उसे इन अपराधों के लिए समान रूप से जिम्मेदार बनाती है।”

जमात-ए-इस्लामी हिंद ने यह भी कहा है कि वह कतर के लोगों और नेतृत्व के साथ पूरी एकजुटता से खड़ा है। बयान में कहा गया, “दुनिया को सच्चाई का सामना करना ही होगा कि इजरायल न सिर्फ मानवाधिकारों का उल्लंघनकर्ता है, बल्कि वह संप्रभुता का लगातार उल्लंघनकर्ता भी है। यह शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए और इजरायल के अपराधों की सजा देनी चाहिए।”

जमात-ए-इस्लामी हिंद ने यह भी मांग उठाई कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि विश्वासघात और आक्रामकता का यह चक्र समाप्त हो।

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