जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को रोकने और सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित करने के लिए सेना ने राष्ट्रीय राजमार्ग 44 (एनएच-44) पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया है। यह राजमार्ग केंद्र शासित प्रदेश के कई हिस्सों को जोड़ता है। आतंकवादियों द्वारा हथियारों और सामान की तस्करी के लिए इसका इस्तेमाल करने की कोशिशों को नाकाम करने के उद्देश्य से सेना ने कई बड़े कदम उठाए हैं।
सेना ने राजमार्ग पर दिन-रात गश्त बढ़ा दी है। खास तौर पर संवेदनशील इलाकों और महत्वपूर्ण जगहों पर नजर रखी जा रही है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर कई जगहों पर मोबाइल वाहन चेक पोस्ट (एमवीसीपी) बनाए गए हैं। ये चेक पोस्ट अचानक जांच करते हैं, जिससे आतंकियों के लिए इस मार्ग का दुरुपयोग करना मुश्किल हो गया है। इन चेक पोस्ट पर संदिग्ध वाहनों और लोगों की तलाशी ली जा रही है।
सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रमुख चौराहों और राजमार्ग के प्रवेश-निकास बिंदुओं पर उन्नत वाहन स्कैनर, एआई आधारित फेस रिकग्निशन सिस्टम और ऑटोमेटेड नंबर प्लेट रिकग्निशन सिस्टम लगाए गए हैं। ये तकनीकें रियल-टाइम जानकारी देती हैं और संदिग्ध गतिविधियों को तुरंत पकड़ने में मदद करती हैं। इससे आतंकी खतरों को पहले ही रोकने में आसानी हो रही है।
सेना के अधिकारियों का कहना है कि इन उपायों से अच्छे नतीजे मिल रहे हैं। हाल के सप्ताहों में कई संदिग्ध गतिविधियों को रोका गया है। बढ़ी हुई गश्त और तकनीकी निगरानी ने आतंकियों के लिए इस राजमार्ग का इस्तेमाल मुश्किल कर दिया है। इन कदमों से आतंकी नेटवर्क को कमजोर करने में मदद मिल रही है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के सहयोग से भारतीय सेना का यह प्रयास क्षेत्र में शांति बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण है। सेना का कहना है कि वह आतंकवाद को खत्म करने और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इन सुरक्षा उपायों से आतंकियों को अलग-थलग करने और उनके मंसूबों को नाकाम करने में मदद मिलेगी।
स्थानीय लोगों ने भी सेना के इन प्रयासों की सराहना की है। उनका कहना है कि एनएच-44 पर बढ़ी सुरक्षा से न केवल आतंकी गतिविधियां रुकेंगी, बल्कि आम लोगों का सफर भी सुरक्षित होगा। भारतीय सेना का यह प्रयास जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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