May 13, 2025
National

जम्मू-कश्मीर: जन औषधि केंद्रों से सस्ती दवाएं पाकर राहत महसूस कर रहे बारामुला के निवासी

Jammu and Kashmir: Residents of Baramulla feel relieved after getting cheap medicines from Jan Aushadhi Kendras

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएम-बीजेपी) के तहत खोले गए जन औषधि केंद्रों में आम लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध हो रही हैं। जम्मू-कश्मीर के बारामुला जिले में हजारों परिवार जन औषधि केंद्रों के नियमित ग्राहक बन गए हैं। वे निजी मेडिकल स्टोर से स्थायी रूप से दूर हो गए हैं और अब सस्ती कीमतों पर दवाएं खरीद रहे हैं।

कई ग्राहकों ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि सरकार की स्वास्थ्य सेवा योजना ने किस तरह से उनके जीवन को बदल दिया है।

एक ग्राहक मुश्ताक अहमद ने कहा कि इस योजना ने उन जैसे लोगों को बहुत राहत दी है।

उन्होंने कहा, “दवाएं महंगी होती जा रही हैं, उनके दाम आसमान छू रहे हैं। लेकिन, इस केंद्र पर हमें बहुत रियायती दरों पर दवाएं मिल रही हैं। खास तौर पर गरीब और हाशिए पर रहने वाले परिवारों को इसका फायदा मिल रहा है।”

उन्होंने कहा, “हम इस तरह की योजना शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत आभारी हैं।”

अजीजुर रहमान बेग ने कहा, “यह निचले तबके के लोगों के लिए बहुत ही उपयोगी योजना है। मैं दिल का मरीज हूं। जो दवा इस समय मेरे हाथ में है, उसकी कीमत मेडिकल स्टोर पर 100 रुपए है, लेकिन यहां मुझे यह 10 रुपए में मिल रही है।”

उन्होंने कहा, “हम इस पहल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत आभारी हैं। हालांकि, ऐसे और भी केंद्र होने चाहिए ताकि पूरे समाज को इसका लाभ मिल सके।”

जन औषधि केंद्र के मालिक ने इस बारे में विस्तृत जानकारी साझा की कि कैसे ये केंद्र लोगों के जीवन में बदलाव ला रहे हैं।

उन्होंने बताया, “किसी भी हृदय रोगी का मासिक चिकित्सा बिल मोटे तौर पर 5,000 से 8,000 रुपए होता है। लेकिन यहां यह लगभग 1,000 से 2,000 रुपए है। इस योजना से रोगियों को राहत मिली है, क्योंकि कई लोग इसे वहन नहीं कर सकते थे, लेकिन अब वे नियमित रूप से इसे खरीद रहे हैं।”

स्थानीय निवासी मोहम्मद सईद भट ने कहा कि उनके दादा-दादी मधुमेह से पीड़ित हैं और वे पिछले दो-तीन महीने से यहां से दवाइयां खरीद रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि जन औषधि परियोजना के तहत, देशभर में फरवरी 2025 तक कुल 15,057 जन औषधि केंद्र (जेएके) खोले गए हैं। जम्मू-कश्मीर में ऐसे 300 से अधिक केंद्र हैं।

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