नई दिल्ली, 20 सितंबर ।वक्फ (संशोधन) विधेयक – 2024 को लेकर शुक्रवार को हुई जेपीसी की छठी बैठक में अखिल भारतीय सज्जादानशीन परिषद -अजमेर और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रतिनिधियों ने बिल का पुरजोर समर्थन किया।
शुक्रवार को हुई जेपीसी की बैठक में केवल सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच ही तकरार नहीं हुई, बल्कि अखिल भारतीय सज्जादानशीन परिषद-अजमेर और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रतिनिधियों और विपक्ष के कई सांसदों के बीच भी कई मुद्दों को लेकर तीखी नोक-झोंक हुई।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने पारदर्शिता, जवाबदेही और कार्यकुशलता के लिए वक्फ संशोधन विधेयक का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य 6 लाख से ज्यादा पंजीकृत वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाने का है।
मंच ने यह भी कहा कि यह अक्षमता, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन से निपटने के लिए लाया गया है, जिसका लाभ मुस्लिम समाज के सभी वर्गों खासकर पिछड़े वर्गों और महिलाओं को होगा।
हालांकि, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने जब सरकार के बिल का समर्थन करते हुए यह आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड की वर्तमान व्यवस्था में वित्तीय कुप्रबंधन, विवाद, जमीनों की लूटपाट, भ्रष्टाचार और बड़े लोगों का अवैध कब्जा है तब विपक्ष के कई सांसदों ने जोरदार विरोध किया।
दोनों पक्षों की तरफ से इसे लेकर तीखी बहस भी हुई। विपक्षी सांसदों की मांग पर मंच के प्रतिनिधियों ने बैठक में यह भी कह दिया कि वे 15 दिनों के अंदर विपक्षी सांसदों के सभी सवालों का जवाब लिखित में दे देंगे।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने दुनिया के कई देशों में वक्फ व्यवस्था में हुए सुधार का जिक्र करते हुए जेपीसी की बैठक में यह भी बताया कि तुर्की में वक्फ को राष्ट्रीय विकास योजनाओं में एकीकृत किया गया है। मलेशिया में कॉर्पोरेट वक्फ मॉडल सार्वजनिक कल्याण के लिए आय उत्पन्न करते हैं। वहीं, सऊदी अरब में विजन-2030 के तहत वक्फ प्रबंधन का आधुनिकीकरण किया गया है।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से जुड़े सूफी शाह मलंग प्रकोष्ठ ने भारतीय संविधान को सर्वोपरि बताते हुए यह मांग की कि वक्फ बोर्ड को भारतीय संविधान के अनुसार बनाकर, इसमें गैर-मुस्लिमों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाए। विपक्षी सांसदों ने इसका कड़ा विरोध किया।
प्रकोष्ठ ने सरकार के बिल का समर्थन करते हुए सूफी शाह मलंग (फकीर) समुदाय के लिए एक अलग औकाफ बोर्ड बनाने की भी मांग की।
वहीं, अखिल भारतीय सज्जादानशीन परिषद-अजमेर ने भी जेपीसी की बैठक में बिल का समर्थन करते हुए अपना प्रजेंटेशन दिया। इन्होंने अपने प्रजेंटेशन में दरगाहों की स्वायत्तता बरकरार रखने की मांग करते हुए वक्फ बिल को जरूरी करार दिया।
इनकी मांग पर कड़ा ऐतराज जाहिर करते हुए विपक्षी सांसदों ने दरगाहों को मिलने वाले फंड का पूरा ब्यौरा जेपीसी के सामने रखने की मांग की।
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सज्जादानशीन की पुश्तैनी परंपरा को अवैध ठहराते हुए सज्जादानशीन परिषद की वैधता और अहमियत पर ही सवाल उठा दिया। जिस पर परिषद की तरफ से बैठक में यह बताया गया कि अदालत से उनके हक में फैसला आ चुका है।
भारत फर्स्ट-दिल्ली के प्रतिनिधियों ने भी सरकार के बिल का समर्थन करते हुए वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण करने और इसके रियल टाइम निगरानी के लिए पारदर्शी व्यवस्था बनाने का सुझाव दिया। इनके प्रतिनिधियों ने वक्फ व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए लाए गए बिल का पुरजोर समर्थन करते हुए सरकार को कई अन्य अहम सुझाव भी दिए।
वहीं, विपक्षी सांसदों ने एक बार फिर से जेपीसी की बैठक में वक्फ ट्रिब्यूनल को खत्म करने, डीएम को सारी शक्तियां देने और गैर मुस्लिमों को शामिल करने सहित कई अन्य प्रावधानों का विरोध किया।
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