हिमाचल किसान सभा ने हाल ही में मंडी के विश्वकर्मा हॉल में आपदा प्रभावित परिवारों का एक राज्यस्तरीय सम्मेलन आयोजित किया, जिसका उद्देश्य राज्य में बार-बार होने वाली प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों की दुर्दशा को उजागर करना था। सम्मेलन में एक उचित पुनर्वास नीति – “ज़मीन के बदले ज़मीन, और घर के बदले घर” की माँग पर ज़ोर दिया गया।
सम्मेलन का उद्घाटन हिमाचल किसान सभा के राज्य सचिव राकेश सिंघा ने किया, जिन्होंने अपने प्रारंभिक भाषण में इस बात पर जोर दिया कि लगातार प्राकृतिक आपदाओं ने हिमाचल प्रदेश के लोगों के जीवन और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
सिंघा ने कहा, “लोगों ने अपने खेत, मवेशी, घर और यहाँ तक कि अपनी जान भी गँवा दी है। कई जगहों पर परिवारों के पास अपने घर फिर से बनाने के लिए दो बिस्वा ज़मीन भी नहीं बची है।” उन्होंने केंद्र सरकार से वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन करने का आग्रह किया ताकि आपदा प्रभावित परिवारों को पुनर्वास के लिए कम से कम पाँच बीघा ज़मीन आवंटित की जा सके।
उन्होंने आगे मांग की कि सरकार को अपने घर खो चुके लोगों को तत्काल आवास उपलब्ध कराना चाहिए तथा स्थायी पुनर्वास पूरा होने तक सभी विस्थापित परिवारों के लिए मासिक किराया सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए।
सम्मेलन के दौरान, राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए कई आपदा प्रभावित निवासियों ने अपने अनुभव और शिकायतें साझा कीं। कई प्रतिभागियों ने आरोप लगाया कि राजस्व अधिकारियों ने उनके नुकसान का सही-सही रिकॉर्ड नहीं रखा, जिससे उन्हें सरकारी मुआवज़ा और राहत पैकेज से वंचित होना पड़ा।


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