जब भी कोई गाना हमारे दिल को गहराई तक छू जाता है, तो हम उसे बस सुनते नहीं बल्कि उसे महसूस करते हैं। कुछ आवाजें ऐसी होती हैं जो भाषा, समय और पीढ़ियों से परे जाकर दिलों तक पहुंचती हैं। ऐसी ही एक जादुई आवाज है मशहूर गायिका के.एस. चित्रा की। उनकी आवाज में एक अलग तरह की सादगी और मिठास है, जो हर दिल को सुकून देती है। उनके चेहरे की मुस्कान जितनी मनमोहक है, उनकी आवाज उतनी ही भावुक करने वाली है। उन्होंने अपने करियर में लगभग 36 भाषाओं में गाना गाया है। वह सभी भाषाओं की महारानी हैं। लोग उन्हें ‘मेलोडी क्वीन ऑफ इंडिया’ कहते हैं।
27 जुलाई 1963 को केरल के तिरुवनंतपुरम में जन्मी के.एस. चित्रा का पूरा नाम कोडुर सुब्रमण्यम चित्रा है। उनका परिवार संगीत से जुड़ा हुआ था, जिसके चलते बचपन से ही उनकी रुचि संगीत में थी। उनके पिता कृष्णन नायर ने उन्हें संगीत की शुरुआती ट्रेनिंग दी। उन्होंने शास्त्रीय संगीत में अपनी पकड़ मजबूत की और संगीत को अपने जीवन का प्रमुख हिस्सा बनाया। 1979 में चित्रा ने अपने करियर की शुरुआत की, जब उन्होंने पहली बार मलयालम फिल्म ‘अत्तहसम’ के लिए गाना रिकॉर्ड किया। हालांकि यह फिल्म 1983 में रिलीज हुई, लेकिन इससे पहले ही उनकी आवाज ने कई भाषाओं में अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी थी।
मलयालम में शुरुआती पहचान के बाद उन्होंने तमिल फिल्मों में इलैयाराजा के साथ काम करना शुरू किया। 1985 में उन्होंने तमिल गाना ‘पूजा केट्टा पूविथू’ गाया, जिसे काफी सराहा गया। यहीं से उनके करियर को एक नई दिशा मिली। 1986 में फिल्म ‘सिंधु भैरवी’ के गाने के लिए उन्हें पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। इसके बाद उन्होंने तेलुगु, कन्नड़, हिंदी, उड़िया, बंगाली, असामी, पंजाबी और कई अन्य भाषाओं में गाने शुरू किए। वह लगभग 36 भाषाओं में 25,000 से ज्यादा गाने गा चुकी हैं, जो कि किसी भी भारतीय गायिका के लिए बड़ी उपलब्धि है। इसी के कारण उन्हें ‘मेलोडी क्वीन ऑफ इंडिया’, ‘साउथ की कोकिला’, और ‘केरल की वनंबदी’ जैसी उपाधियां दी गईं।
1990 के दशक में, चित्रा दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय गायिका बन चुकी थीं। खासकर तमिल और तेलुगु फिल्मों में उनकी आवाज हर फिल्म में सुनाई देती थी।
हिंदी सिनेमा में उन्होंने 1991 में फिल्म ‘लव’ से शुरुआत की, जिसमें उन्होंने एस.पी. बालासुब्रमण्यम के साथ मिलकर ‘साथिया तूने क्या किया’गाना गाया। यह गाना काफी पॉपुलर हुआ। इसके बाद उन्होंने ए.आर. रहमान के साथ कई यादगार गाने गाए, जिसमें ‘रोजा’ फिल्म का ‘ये हसीन वादियां’, ‘बॉम्बे’ फिल्म का ‘कहना ही क्या’, 1997 में फिल्म ‘विरासत’ का गाना ‘पायलें छन-छन’ शामिल हैं। इसके अलावा, उनके ‘गुमसुम गुमसुम’, ‘रूप सुहाना लगता है’, ‘मेरे यारा दिलदारा’, ‘कसम की कसम’ और “कहीं तो होगी वो” जैसे गाने आज भी लोगों की प्लेलिस्ट में जगह बनाए हुए हैं।
चित्रा ने फिल्मी गीतों के अलावा कई भक्ति गीत, क्लासिकल रचनाएं, गजल और पॉप एल्बम में भी अपनी आवाज दी है। उनका ‘पिया बसंती’ एल्बम काफी लोकप्रिय रहा। उन्होंने न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी परफॉर्म किया है। लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल, चीन के किंगहाई इंटरनेशनल म्यूज़िक फेस्टिवल और यूके की ब्रिटिश पार्लियामेंट में भी उन्होंने अपनी प्रस्तुति दी। इसके अलावा, वह ‘एयरटेल सुपर सिंगर’, ‘स्टार सिंगर’, ‘स्वराभिषेकम’ जैसे कई रियलिटी शोज में जज की भूमिका निभा चुकी हैं।
अवॉर्ड की बात करें तो चित्रा के पास नेशनल अवॉर्ड्स की पूरी बारात है। उन्होंने अपने करियर में 6 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते हैं, जो किसी भी पार्श्व गायकों का सपना होता है। ये अवॉर्ड उन्हें तमिल, मलयालम और हिंदी फिल्मों के गानों के लिए मिला, जिनमें ‘सिंधु भैरवी’, ‘नखक्षथंगल’, ‘मिनसारा कनवु’, ‘विरासत’ और ‘ऑटोग्राफ’ जैसी फिल्में शामिल हैं। इसके अलावा उन्हें संगीत क्षेत्र में उनके योगदान के चलते भारत सरकार की ओर से 2005 में ‘पद्म श्री’ और 2021 में ‘पद्म भूषण’ से नावाजा गया। उन्हें अलग-अलग राज्यों से भी कई अवॉर्ड्स मिले हैं, जैसे केरल सरकार से 18 पुरस्कार, आंध्र प्रदेश से 12, तमिलनाडु से 5, कर्नाटक से 4 और ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से भी सम्मान मिला है।
चित्रा को केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी कई बार सम्मानित किया गया। 2003 में उन्हें ब्रिटेन की संसद (हाउस ऑफ कॉमन्स) में सम्मान मिला और 2024 में उन्हें ‘द ग्रेटेस्ट इंडियन सिंगर ऑफ ऑल टाइम्स’ का खिताब भी मिला। ‘फिल्मफेयर साउथ अवॉर्ड’ भी उन्हें 10 बार मिल चुका है। इसके अलावा, उन्हें ‘कलईमामणि’, ‘लता मंगेशकर अवॉर्ड’, ‘स्वरलया येसुदास अवॉर्ड’, और ‘संगीत रत्न’ जैसे कई सांस्कृतिक सम्मान भी दिए गए हैं। इतने पुरस्कार और सम्मान इस बात का प्रमाण हैं कि के.एस. चित्रा सिर्फ एक गायिका नहीं, बल्कि भारतीय संगीत की एक मजबूत पहचान हैं।