जिले भर में चालू धान सीजन में जमाखोरी और अन्य अनियमितताओं के कारण 23 उर्वरक विक्रेताओं के लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं।
इसके अलावा, स्टॉक रजिस्टर न रखने और मूल्य सूची प्रदर्शित न करने पर चार डीलरों को नोटिस भी जारी किया गया है। अधिकारियों ने सभी उर्वरक डीलरों को बिक्री, स्टॉक का सही रिकॉर्ड रखने और मूल्य प्रदर्शित करने की चेतावनी दी है, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।
उप कृषि निदेशक (डीडीए) डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि चालू सीजन में जिले को 95,000 मीट्रिक टन यूरिया और 20,000 मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता है। अब तक डीएपी की प्रारंभिक आवश्यकता पूरी हो चुकी है। यूरिया की कुल मांग में से अब तक 85,000 मीट्रिक टन यूरिया किसानों को वितरित किया जा चुका है।
डीडीए ने कहा, “मांग, उपलब्धता, आपूर्ति के साथ-साथ जमाखोरी, कालाबाजारी, टैगिंग और डायवर्जन पर नजर रखने के लिए उपायुक्त उत्तम सिंह द्वारा संबंधित एसडीएम के नेतृत्व में उप-मंडल स्तर की टीमों का गठन किया गया है।”
सिंह ने बताया कि पीक सीजन के दौरान, हाफेड को कुल आवंटित यूरिया, डीएपी और अन्य फॉस्फेटिक उर्वरकों का 40 प्रतिशत प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसी), इफको, कृभको जैसी अन्य सरकारी एजेंसियों के माध्यम से किसानों को सब्सिडी दरों पर बेचने का काम सौंपा गया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कोई विक्रेता कालाबाजारी, जमाखोरी या उर्वरकों के साथ अन्य उत्पादों की मिलावट करते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
सिंह ने बताया कि हरियाणा कृषि निदेशालय के निर्देशानुसार, 20-30, 30-40 और 40-50 बैग श्रेणी के यूरिया बैग खरीदने वाले किसानों का विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा सत्यापन किया जा रहा है। सत्यापन प्रक्रिया के दौरान यदि कोई अनियमितता पाई जाती है, तो संबंधित के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा, “यूरिया का इस्तेमाल अन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता। वास्तविक खरीद-बिक्री की पुष्टि के लिए सत्यापन किया जा रहा है।”
डॉ. वज़ीर सिंह के अनुसार, चालू खरीफ सीज़न में, ज़िले भर में लगभग 5.3 लाख एकड़ ज़मीन पर फ़सलें बोई जा रही हैं। इसमें से 4.45 लाख एकड़ में धान, 42,000 एकड़ में गन्ना और 38,000 एकड़ में अन्य फ़सलें बोई जा रही हैं।
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