February 4, 2025
Uttar Pradesh

महाकुंभ : बसंत पंचमी पर प्रयागराज में उमड़ी भक्तों की भीड़

Mahakumbh: Crowd of devotees gathered in Prayagraj on Basant Panchami.

प्रयागराज, 3 फरवरी । उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में बसंत पंचमी अमृत स्नान पर्व पर सोमवार को त्रिवेणी संगम की पवित्र धरा में लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। बसंत पंचमी पर्व की वजह से दो दिनों से संगम नगरी में भारी भीड़ थी।

इस पावन अवसर पर प्रयागराज के विभिन्न इलाकों में श्रद्धालुओं के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की गई हैं। भंडारे का आयोजन कर श्रद्धालुओं को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है, साथ ही रैन बसेरों की व्यवस्था से आने वालों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा।

बता दें कि महाकुंभ क्षेत्र जप, तप और साधना का क्षेत्र है, जिसके हर कोने में कोई न कोई साधक अपनी साधना में रत नजर आ रहा है। महाकुंभ के तपस्वी नगर में बसंत पंचमी से एक खास तरह की साधना आरंभ हुई, जिसे लेकर श्रद्धालुओं में खासा कौतूहल है। इस साधना को पंच धूनी तपस्या कहा जाता है, जिसे आम भक्त अग्नि स्नान साधना के नाम से भी जानते हैं।

इस साधना में साधक अपने चारों तरफ जलती आग के कई घेरे बनाकर उसके बीच में बैठकर अपनी साधना करता है। जिस आग की हल्की सी आंच के संपर्क में आने से इंसान की त्वचा झुलस जाती है, उससे कई गुना अधिक आंच के घेरे में बैठकर ये तपस्वी अपनी साधना करते हैं। वैष्णव अखाड़े के खालसा में इस अग्नि स्नान साधना की परंपरा है, जो बेहद त्याग और संयम की स्थिति में पहुंचने के बाद की जाती है। श्री दिगंबर अनी अखाड़े के महंत राघव दास बताते हैं कि अग्नि साधना वैष्णव अखाड़ों के सिरमौर अखाड़े दिगंबर अनी अखाड़े के अखिल भारतीय पंच तेरह भाई त्यागी खालसा के साधकों की विशेष साधना है। यह साधना अठारह वर्षों की होती है। इस अनुष्ठान को पूरा करने के पीछे न सिर्फ साधना के उद्देश्य की पूर्ति करनी होती है, बल्कि साधु की क्षमता और सहनशीलता का परीक्षण भी होता है। लगातार 18 वर्ष तक साल के 5 माह इस कठोर तप से गुजरने के बाद उस साधु को वैरागी की उपाधि मिलती है।

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