महाकुंभ नगर, 6 फरवरी । संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे आस्था के महापर्व महाकुंभ में हर किसी की नजरें सिर्फ अखाड़ों और साधु-संतों पर ही टिकी हैं। आम हो या खास हर कोई अखाड़ों और साधु-संतों के बारे में जानना चाहता है। ऐसे में आपको एक ऐसे अनोखे अखाड़े के बारे में बताएंगे, जिसके संन्यासियों का काम देह त्याग चुके संतों को समाधि दिलाना है।
दरअसल, हम बात कर रहे हैं श्री पंच दशनाम गोदड़ अखाड़ा की, जिसके बारे में बताया जाता है कि यह अखाड़ा दान में मिले साधुओं से बना है। इस अखाड़े के संत शैव अखाड़ों के देह त्याग चुके संतों को समाधि दिलाते हैं। महाकुंभ में सबसे अधिक विदेशी भक्त इसी अखाड़े से जुड़े हैं।
गोदड़ अखाड़ा के प्रमुख सत्यानंद गिरी ने बताया कि हमने अपने अखाड़े के माध्यम से बरसों से चली आ रही परंपरा को जीवित रखा है।
बता दें कि इस अखाड़े का नाम श्री पंच दशनाम गोदड़ अखाड़ा है। गोदड़ अखाड़े की स्थापना ब्रह्मपुरी महाराज ने की थी। यह अखाड़ा शैव संप्रदाय के सातों अखाड़ों से संबंधित है। जहां भी शैव संप्रदाय के अखाड़े हैं, वहां गोदड़ अखाड़ा भी है।
गोदड़ अखाड़े के संत शैव संप्रदाय के सातों अखाड़ों (अग्नि को छोड़कर) के मृतक साधुओं को समाधि दिलाते हैं। संतों के अंतिम संस्कार में भी गोदड़ अखाड़े की खास भूमिका होती है। इसका मुख्य केंद्र जूनागढ़ है। इस अखाड़े में सभी अखाड़ों की तुलना में अधिक विदेशी शिष्य हैं। इनके अखाड़े में रूस, जापान से उच्च शिक्षित युवाओं की भीड़ दिखाई देती है।
बताते चलें कि यह अखाड़ा अमृत स्नान भी नहीं करता है, सिर्फ दान करने के लिए यह महाकुंभ में आता है। इसके बाद शिष्यों को शिक्षा देने के बाद वापस अपने स्थान चला जाता है।
उल्लेखनीय है कि 13 जनवरी से प्रारंभ हुए महाकुंभ में अब तक वीवीआईपी मूवमेंट के बावजूद श्रद्धालुओं को संगम स्नान में कहीं कोई दिक्कत नहीं आ रही है। इसी का नतीजा है कि मात्र 24 दिनों में अब तक 39 करोड़ श्रद्धालु संगम में पावन डुबकी लगा चुके हैं।