January 13, 2025
Uttar Pradesh

महाकुंभ : 41 साल से चाय वाले मौनी बाबा, अपने शिष्यों को बनाते हैं अफसर

Mahakumbh: Mouni Baba, a tea seller for 41 years, makes his disciples officers

महाकुंभ नगर , 13 जनवरी । संगम किनारे लगे आस्था के जन समागम महाकुंभ में भक्ति, त्याग और साधना के कई रूप बिखरे पड़े हैं। कल्पवास की परंपरा का निर्वाह कर रहे लाखों कल्पवासियों में इसकी एक झलक देखने को मिल रही है। ऐसे ही एक कल्पवासी हैं दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी। इनका संकल्प और त्याग सुनकर हर कोई हैरत में पड़ जाएगा।

यूपी के बुंदेलखंड के महोबा के रहने वाले दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी के पिता एक विद्यालय में प्राचार्य थे। पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा में शिक्षक की नौकरी मिली, लेकिन वह नौकरी करने की जगह गृहस्थ जीवन से विरक्त हो गए। दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी की कल्पवास की दुनिया भी अलग है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करने के बाद वह अपनी पूजा आराधना करते हैं। इसके बाद वह अपने हाथ से दंड धारण करने वाले 51 दंडी स्वामी साधुओं के लिए भोजन तैयार करते हैं। उन्हें भोजन कराते हैं लेकिन खुद भोजन नहीं करते हैं। जमीन पर ही वह रात्रि में सोते हैं । दिनेश स्वरूप बताते है कि लगातार 41 साल से वह कल्पवास कर रहे हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो दिनेश स्वरूप महाकुंभ में सबसे अधिक समय से कल्पवास करने वाले कल्पवासी हैं।

दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी अपने संकल्प के पक्के हैं। वह बताते हैं कि आज से 41 साल पूर्व उन्होंने अखंड कल्पवास की शुरुआत की। उसी दिन से उन्होंने अन्न और जल त्याग दिया। वह सिर्फ चाय पीते हैं। इसलिए लोग उन्हें पयहारी के नाम से भी बुलाते है। उन्होंने जब यह संकल्प लिया तो डॉक्टरों ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन, उन्होंने अपना संकल्प नहीं बदला। मौनी महाराज की दो ओपन बाईपास सर्जरी हो चुकी हैं। अस्सी फीसदी हार्ट भी काम नहीं करता बावजूद इसके वह पूरी तरह फिट है। खुद डॉक्टर भी उनके इस संकल्प और जिजीविषा से हैरान हैं।

कल्पवासी दिनेश स्वरूप के इष्ट देवता बाल जी भगवान हैं। कल्पवासी क्षेत्र के सेक्टर 17 के नागवासुकी मार्ग के एक साधारण से शिविर में कल्पवास कर रहे दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी प्रतिदिन शिक्षा का दान देते हैं। शिविर में उनके मंदिर में बाला जी भगवान की तस्वीर के साथ पीसीएस परीक्षा में तैयारी करने के लिए पढ़ी जाने वाली हजारों पुस्तकें मिलेंगी। दिनेश स्वरूप खुद बीएससी बायो है। अपने संकल्प को जीवन का मिशन बनाते हुए वह हर समय इन पुस्तकों से नोट्स बनाते रहते हैं। इन नोट्स को वह प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रतियोगी छात्रों को प्रसाद के तौर पर देते हैं।

उनके शिष्य और प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी कर रहे भारतेंदु बताते हैं कि मौनी महाराज वन लाइनर नोट्स बनाकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आने वाले छात्रों को वितरित कर देते हैं। जो छात्र उनके पास नहीं आ पाते उन्हें इन नोट्स का पीडीएफ बनाकर व्हाट्सएप से शेयर कर देते हैं। उनके दूसरे शिष्य विकास का कहना है कि महाराज ने एनसीईआरटी की सभी किताबें और प्रशासनिक परीक्षा में पठनीय हजारों किताबें पढ़ी हैं जिसका निचोड़ हैं उनके नोट्स। अब तक कई दर्जन छात्र उनके ये नोट्स पढ़कर पीसीएस की नौकरी हासिल कर चुके हैं।

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