महाकुंभ नगर, 5 जनवरी । तीर्थराज प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है। इसके साथ ही अखाड़ों द्वारा भव्य पेशवाई निकाली जा रही हैं। छावनी प्रवेश के साथ ही अखाड़ों के लिए भी कुंभ की औपचारिक शुरुआत हो जाती है। ऐसे ही शनिवार को निरंजनी अखाड़े की छावनी यात्रा पूरी भव्यता और दिव्यता से निकाली गई।
निरंजनी अखाड़े की छावनी यात्रा में हाथी-घोड़े और बाजे-गाजे के साथ श्रद्धालु रास्ते भर स्वागत करते रहे। इस दौरान रास्ते भर पुष्प वर्षा होती रही और अखाड़े के नागा संत शरीर पर भभूत धारण कर अस्त्र-शस्त्र लहराते हुए सबसे आगे चल रहे थे। नागा संत हाथी घोड़े और ऊंट पर सवार होकर सनातन की पताका को लहराते हुए आगे बढ़ते रहे। पेशवाई के दौरान सबसे आगे निरंजनी अखाड़े के आराध्य भगवान कार्तिकेय की पालकी थी।
संन्यासी परंपरा के निरंजनी अखाड़े की यह शोभा यात्रा अल्लापुर में बाघंबरी मठ से शुरू होकर तमाम रास्तों से होती हुई मेला क्षेत्र में प्रवेश करेगी। इस पेशवाई में डेढ़ दर्जन से ज्यादा राज्यों की बैंड पार्टियों को बुलाया गया है। इस पेशवाई में धर्म और आध्यात्म के साथ ही कला और संस्कृति के भी अलग-अलग रंग देखने को मिले। देश के अलग-अलग हिस्सों से कलाकारों को बुलाया गया है।
वहीं पेशवाई की अगुवाई अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद सरस्वती ने विशाल रथ पर सवार होकर की। इस मौके पर सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए। अखाड़े के छावनी प्रवेश का बहुत बड़ा महत्व होता है। इस अवसर पर निरंजनी अखाड़ा के सचिव रामरतन गिरी ने मीडिया से बातचीत की।
रामरतन गिरी ने बताया, “सभी अखाड़ों के लिए पेशवाई उनका वैभव है। यह उनके लिए सबसे प्रमुख होती है। इस दौरान नागा संन्यासी, मठाधीश, सभी महामंडलेश्वर, हाथी, घोड़ा, ऊंट आदि के साथ प्रवेश करेंगे। पेशवाई के बाद हमारा कुंभ शुरू हो जाता है। देश के कई जगहों से संत आए हैं। हर कोने से नागा और अन्य संत आए हैं।”
वहीं, धीरे-धीरे सारे अखाड़े की पेशवाई छावनी प्रवेश के बाद कुंभ मेले की शुरुआत हो जाएगी। सभी अखाड़ों के साधु संत, नागा संन्यासी शाही स्नान की तैयारी करेंगे।
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