January 31, 2025
Uttar Pradesh

महाकुंभ : ‘रामायण’ के ‘राम’ को भी अदाणी समूह और इस्कॉन का महाप्रसाद पसंद

Mahakumbh: ‘Ram’ of ‘Ramayana’ also likes Mahaprasad of Adani Group and ISKCON

महाकुंभ नगर, 29 जनवरी । सनातन धर्म का सबसे बड़ा आयोजन महाकुंभ प्रयागराज शहर में किया जा रहा है। मां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम तट पर लगने वाले महाकुंभ में अब तक करोड़ों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई है। अदाणी समूह ने महाकुंभ में सभी आगंतुकों को निःशुल्क महाप्रसाद उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है।

अदाणी समूह और इस्कॉन समूह के संयुक्त तत्वाधान में महाकुंभ के शुरुआती दौर से अब तक लाखों श्रद्धालुओं को महाप्रसाद उपलब्ध कराया है। अदाणी समूह की महाप्रसाद वितरण सेवा के लिए उपस्थित साधुओं के अखाड़ों ने भी तारीफ की है।

महाकुंभ के पंद्रहवें दिन मंगलवार को मेरठ के सांसद और प्रसिद्ध धारावाहिक ‘रामायण’ के ‘राम’ अरुण गोविल भी महाप्रसाद वितरण सेवा में शामिल हुए। उन्होंने अपने हाथों से श्रद्धालुओं को महाप्रसाद वितरित किया।

इस महाप्रसाद सेवा के बारे में अरुण गोविल ने कहा, ”अदाणी समूह और इस्कॉन की यह निःशुल्क और निःस्वार्थ महाप्रसाद सेवा महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए बहुत बड़ी सेवा है। महाकुंभ में अदाणी समूह और इस्कॉन गुणवत्ता युक्त सात्विक भोजन उपलब्ध करा रहा है। यह एक सराहनीय कार्य है। इसके लिए मैं अदाणी समूह और इस्कॉन को धन्यवाद और शुभकामनाएं देता हूं।”

इस महाप्रसाद सेवा के लिए गुजरात के जूनागढ़ से पधारे गोरक्षनाथ मठ के महंत पीर शेरनाथ जी महाराज ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि अदाणी समूह मेले में श्रद्धालुओं को महाप्रसाद उपलब्ध करा रहा है, जो एक सराहनीय पहल है। मैं समूह को तथा सभी सदस्यों को मेला समिति की ओर से धन्यवाद और शुभकामनाएं देता हूं।

बता दें कि बुधवार को मौनी अमावस्या के महास्नान में 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। भारत का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश है और प्रयागराज को तीर्थों का राजा भी कहा जाता है। जहां तीन पवित्र नदियों मां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम स्थल है।

सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब राहू अमृत कलश लेकर भाग रहा था तो अमृत की कुछ बूंदें छलककर जिन स्थानों में गिरी हैं, वहां पर कुंभ मेले का आयोजन होता है, जिनमें से हरिद्वार, नासिक और उज्जैन भी एक हैं। हर छह साल में अर्धकुंभ और बारह सालों में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।

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