February 11, 2025
Uttar Pradesh

महाकुंभ : संघ के सरकार्यवाह ने लगाई आस्था की डुबकी, सामाजिक समरसता का भी द‍िया संदेश

Mahakumbh: Sangh Sarkaryavah took a dip of faith, also gave the message of social harmony

महाकुंभ नगर, 11 फरवरी । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश सोनी ने सोमवार को पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद सरकार्यवाह ने सफाई कर्मचारियों से भेंट की।

महाकुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर-17 में आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की पोषक और तारक है। हिंदू संस्कृति की रक्षा और भारत की एकता एवं एकात्मकता के लिए काम करें। शिक्षा, सेवा, संस्कार और धर्म जागरण द्वारा अपने समाज की एकता को, अपने समाज की अस्मिता को बनाए रखने का प्रयत्न करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वनवासियों को ईसाई और मुसलमान बनाने का प्रयत्न हुआ। उन्होंने हमारे देवी-देवताओं, पूजा पद्धति को बदल दिया। वनवासियों का कोई धर्म नहीं है। यह प्रचारित किया गया। इन सारे विषयों को पाठ्य पुस्तकों में विश्वविद्यालयों में पढ़ाया, पीएचडी करके इसको स्थापित करने का प्रयत्न किया गया। भोले भाले वनवासियों के हाथों में नक्सलियों ने बंदूक थमाया। समस्या का समाधान उनका उद्देश्य नहीं था। प्रेम से रहो, हिंसा छोड़ दो, नफरत से काम नहीं चलेगा।

सरकार्यवाह ने कहा कि वनवासियों ने अपने पूजा पाठ, मंत्र पारायण से, रीति रिवाज से, तीज त्योहार से, पर्वों के आचरण से, पर्वों के अनेक संस्कारों से उसको जतन से बनाकर, बचाकर रखे हैं। गुरुओं के मार्गदर्शन व संतों की साधना ने इस धर्म श्रद्धा को, आध्यात्मिक चेतना को, मूल संस्कार पद्धति को मजबूत रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। धर्मांतरण एक प्रमुख चुनौती है। इसे रोकने के लिए हमें आगे आना होगा। अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए एक प्रतिबद्धता चाहिए। आधुनिक काल में विकास के नाम पर इन चीजों पर भी आघात हो रहे हैं। इसी कारण वनवासियों के बीच शिक्षा संस्कार देने का बड़ा प्रयत्न होना चाहिए। वनवासियों में नृत्य, संगीत की अद्भुत परंपरा है। वनवासी क्षेत्र के साहित्य की रक्षा होनी चाहिए। वनवासी युवाओं को जल, जंगल, जमीन की पवित्रता और संस्कृति व परंपरा के बारे में बताना होगा।

उन्होंने कहा कि वनवासी क्षेत्रों में संतों ने जो प्रयत्न अभी तक किया है, वह अद्भुत है, इसलिए तो जनजाति बची है। वहां राम के नाम लेने वाले हैं। वहां धर्म की बात बोलने वाले अभी भी बचे हैं। जनजाति संस्कृति के जीवन में आचरण करने के लिए लाखों कुटुम्ब आज भी बचे हैं। वनवासी कल्याण आश्रम, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद इस क्षेत्र में कार्य कर रहा है। हम सब एक होकर एकता के साथ काम करेंगे, तो हिंदू शक्ति कम नहीं है, हमें मिलकर प्रयत्न करना होगा। अलग-अलग हम बंट जाते हैं, तो हमारी शक्ति क्षीण हो जाती है। विदेशी आतताइयों से अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए वनवासियों ने संघर्ष किया है।

वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने कहा कि अनुसूचित जनजाति समाज पहले प्रताड़ित किया जाता था। वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा सुधार हुआ है। आगे भी समाज और आश्रम के लोगों को वनवासी समाज की चिंता करनी पड़ेगी। अनुसूचित जनजातियों को गले लगाना पड़ेगा। संगठन द्वारा मंचों पर दिखावा नहीं करते हुए सम्मान देना पड़ेगा। हिंदू समाज को संगठित करने के लिए प्रत्येक हिंदू को मान-सम्मान देना होगा।

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