जालना (महाराष्ट्र), 16 मार्च । लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से ठीक पहले शिवबा संगठन के नेता, मनोज जरांगे-पाटिल ने शनिवार को चेतावनी दी कि महाराष्ट्र सरकार को संसदीय चुनावों में मराठों के क्रोध का सामना करना पड़ेगा।
जालना में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर चुनाव की तारीखों की घोषणा के तुरंत बाद लागू होने वाली आदर्श आचार संहिता के नाम पर मराठों को न्याय नहीं दिया गया तो महाराष्ट्र सरकार को इसके दीर्घकालिक परिणाम भुगतने होंगे।
उन्होंने गंभीर चेतावनी देते हुए कहा, “सरकार ने अभी भी मराठा पुरुषों और महिलाओं के खिलाफ मामले वापस लेने के अपने वादे को पूरा नहीं किया है… ‘सगे-सोयारे’ (पारिवारिक वंश) पर मसौदा अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है। यदि आप अभी निर्णय नहीं लेते हैं, तो मराठा निर्णय लेंगे।”
उन्होंने कहा कि पिछले शासकों को मराठों के हित की चिंता थी, लेकिन वर्तमान शासन को समुदाय की कोई चिंता नहीं है और इसे खुलेआम नजरअंदाज किया जा रहा है।
जरांगे-पाटिल ने माँग की, “अगर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस समुदाय की नाराजगी की लहर का सामना नहीं करना चाहते हैं, तो उन्हें मराठों से किए गए सभी वादों को तुरंत लागू करना चाहिए।”
उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि मराठा अगस्त से सात महीने से अधिक समय से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं तथा उन्हें और अधिक अपमानित करने के प्रति आगाह किया, “अन्यथा वे आपके खिलाफ माहौल बना सकते हैं।”
इस बीच, जरांगे-पाटिल द्वारा पाँच गाँवों के उम्मीदवारों से नामांकन दाखिल करने के आह्वान के बाद मराठा समुदाय के सदस्यों के बड़ी संख्या में लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना है।
इससे दो प्रमुख प्रतिस्पर्धी गठबंधनों – शिवसेना-भाजपा-राकांपा (एपी) की सत्तारूढ़ महायुति और कांग्रेस-शिवसेना (यूबीटी)-राकांपा (सपा) की विपक्षी महा विकास अघाड़ी और उनके मराठा उम्मीदवारों की राजनीतिक गणना गड़बड़ा सकती है।