गुरुग्राम पुलिस के एंटी नारकोटिक्स सेल ने 2.7 ग्राम लिसर्जिक एसिड डाइएथाइलामाइड (एलएसडी) नामक मादक पदार्थ रखने और उसे गुरुग्राम लाने के आरोप में कोलकाता के एक युवक को गिरफ्तार किया है।
जब आरोपी से ड्रग के लाइसेंस या परमिट के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि उसने प्रतिबंधित ब्राउज़र का इस्तेमाल करके क्रिप्टोकरेंसी के ज़रिए विदेश से इसे मंगवाया था। उसने बताया कि इसे गुरुग्राम में पार्टी कर रहे युवाओं तक पहुँचाया जाना था। सुशांत लोक थाने में NDPS एक्ट की धारा 22 (C) के तहत FIR दर्ज की गई है।
पुलिस के अनुसार, आरोपी की पहचान पश्चिम बंगाल के कोलकाता के न्यू टाउन निवासी मोहम्मद शाहबाज (27) के रूप में हुई है। आरोपी फिलहाल दिल्ली के साकेत इलाके में एक पीजी में रहता है। उसे बुधवार को सेक्टर 43 से गिरफ्तार किया गया। राजपत्रित अधिकारी की मौजूदगी में पुलिस ने उसके पास से बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले छोटे-छोटे टैटू बरामद किए। इस तरह के टैटू बच्चों की टॉफी और अन्य खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं।
जब इन ड्रग टैटू का वजन किया गया तो इनका वजन 2.7 ग्राम पाया गया। भारत में इस ड्रग की बिक्री कीमत करीब 40,000 रुपये है। आरोपी से उसके अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन के बारे में पूछताछ की जा रही है और पुलिस की टीम उसके दिल्ली और गुरुग्राम स्थित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है ताकि वह डिवाइस जब्त की जा सके जिसका इस्तेमाल उसने ड्रग्स मंगवाने के लिए किया था।
एंटी-नारकोटिक्स सेल के प्रभारी सब-इंस्पेक्टर करमजीत ने कहा, “पूछताछ के दौरान पता चला कि शाहबाज ने प्रतिबंधित ब्राउज़र का इस्तेमाल करके एक पोर्टल से दवा मंगवाई थी। भुगतान क्रिप्टोकरेंसी में किया जाता है और डिलीवरी ऑनलाइन की जाती है। यह स्टाम्प टिकट की तरह दिखता है और आम लोग इसे आसानी से नहीं पहचान पाते। कई बार ड्रग स्कैनर भी इसका पता नहीं लगा पाते।”
एक वरिष्ठ जांच अधिकारी के अनुसार, अमेरिका, रूस और यूरोपीय देशों में इस ड्रग का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। ड्रग्स लेने वाले लोग इस पेपर को अपनी जुबान पर रखते हैं। खासकर युवाओं में इसका क्रेज लगातार बढ़ रहा है। पुलिस को रेव पार्टियों में भी इस ड्रग के इस्तेमाल के इनपुट मिले हैं।
एसआई करमजीत ने बताया, “आरोपी इंटरमीडिएट का छात्र है, जो पिछले एक साल से दिल्ली में फोटोग्राफर का काम करता था। हमने आरोपी को चार दिन की पुलिस रिमांड पर लिया है।”
लिसेर्जिक एसिड डाइएथाइलैमाइड (LSD) ड्रग एक मतिभ्रम पैदा करने वाली दवा है और इसका कोई रंग, कोई सुगंध और कोई स्वाद नहीं होता। इसे लेने के 15 से 20 मिनट के अंदर ही नशा शुरू हो जाता है और लंबे समय तक बना रहता है। यह नशा दिमाग की सोचने की क्षमता को भी कम कर देता है, जिसके कारण नशे के दौरान व्यक्ति खुद पर नियंत्रण खो देता है।