हिमाचल बेरोजगार युवा महासंघ के बैनर तले आज मंडी में कई युवाओं ने राज्य सरकार की प्रशिक्षुओं को नौकरी देने की नीति के खिलाफ विरोध मार्च निकाला। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व जिला संयोजक विशाल मंडोत्रा ने किया और इस नीति की निंदा करते हुए इसे शिक्षित युवाओं की आकांक्षाओं के साथ विश्वासघात बताया।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए, मंडोत्रा ने कहा, “चयनित उम्मीदवारों को दो साल के अस्थायी प्रशिक्षण के लिए मजबूर करना और उन्हें एक और परीक्षा देनी पड़ना मानसिक उत्पीड़न से कम नहीं है। यह नीति युवाओं को सशक्त नहीं बनाती – बल्कि उनके भविष्य को अस्थिर करती है।”
मंडोत्रा ने इस नीति को तुरंत वापस लेने और लंबे समय से खाली पड़े हज़ारों सरकारी पदों पर नियमित भर्ती शुरू करने की माँग की। उन्होंने इस नीति की आलोचना करते हुए कहा कि यह युवाओं को ठेकेदारी-शैली की रोज़गार व्यवस्था में धकेल रही है, जो न तो नौकरी में स्थिरता प्रदान करती है और न ही राज्य सरकार के सेवा नियमों के तहत मिलने वाले लाभ।
इस अन्याय पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने सवाल किया, “एक छात्र को अपनी योग्यता कितनी बार साबित करनी होगी? चयन प्रक्रिया पूरी करने के बाद, दो साल की अनिश्चितता और परीक्षा की माँग करना सरासर शोषण है।”
प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां लहराते हुए और नारे लगाते हुए सरकार को कड़ी चेतावनी दी कि नीति को निरस्त करें, अन्यथा आने वाले दिनों में राज्यव्यापी उग्र आंदोलन का सामना करें।