मरियम बूटी, जिसे वैज्ञानिक भाषा में ‘अनास्ताटिका हिरोचंटिका’ कहा जाता है, एक खास औषधीय पौधा है, जो रेगिस्तानी इलाकों में पाया जाता है। इसे काफ मरियम या ‘चजरत मरियम’ (मैरी का पौधा) के नाम से भी जाना जाता है। यह पौधा सहारा, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के शुष्क इलाकों में पाया जाता है और बेहद कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता है। बिना किसी खास देखभाल या खाद-पानी के यह अपने औषधीय गुणों को बरकरार रखता है।
मरियम बूटी का रंग हल्का भूरा या धूसर होता है। इसकी पत्तियों, तनों और जड़ों में कई तरह के खनिज और औषधीय तत्व मौजूद होते हैं। इस पौधे में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं और यह पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में कई रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता है।
रिसर्च गेट की जून 2012 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, मरियम बूटी को खासतौर पर महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं में उपयोगी माना जाता है। यह बूटी गर्भाशय को मजबूत करने, गर्भधारण में मदद करने और प्रसव को आसान बनाने के लिए पारंपरिक रूप से इस्तेमाल होती रही है। माना जाता है कि यह मासिक धर्म की ऐंठन, बांझपन, थकान, सिरदर्द, उच्च रक्तचाप, अवसाद और अस्थमा जैसी समस्याओं में राहत देती है।
शोध में पाया गया है कि मरियम बूटी के तने, जड़ और पत्तियों में मैग्नीशियम, कैल्शियम, मैंगनीज, आयरन, कॉपर और जिंक जैसे महत्वपूर्ण खनिज पाए जाते हैं। इसके साथ ही इसमें फेनोलिक यौगिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी भरपूर होते हैं, जो शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।
अगर महिलाएं गर्भधारण में कठिनाई का सामना कर रही हैं या प्रसव के समय कठिनाई होती है, तो मरियम बूटी का पानी पीना लाभकारी माना जाता है। एक्सपर्ट के अनुसार, इसका तरीका सरल है। मरियम फूल को पानी में भिगोकर कुछ घंटे छोड़ दें। जब फूल पूरी तरह से खुल जाए, तब उस पानी को छानकर पी लें। अगर इसे लगातार 7 दिन तक सुबह-शाम पिया जाए, तो यह गर्भधारण में मदद कर सकता है।
यह पौधा मदीना (सऊदी अरब) के उहुद पर्वत के पास के बाजारों में आसानी से मिल जाता है। मरियम बूटी एक प्राकृतिक औषधि है जो न केवल पारंपरिक चिकित्सा में बल्कि आधुनिक शोधों में भी कारगर पाई गई है।