June 21, 2025
Uttar Pradesh

मंत्री संजय निषाद ने मछुआरों के कल्याण के लिए सरकार की तरफ से उठाए कदमों का किया जिक्र

Minister Sanjay Nishad mentioned the steps taken by the government for the welfare of fishermen

लखनऊ, 21 जून । उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री संजय निषाद ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में मछुआरा समुदाय के कल्याण और जातिगत जनगणना को लेकर अपनी सरकार की योजनाएं और विचार साझा किए।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार मछुआरों के विकास के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जो उन्हें मुख्यधारा में लाने और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद करेंगी।

साथ ही, उन्होंने जातिगत जनगणना का समर्थन करते हुए कहा कि यह गरीब और वंचित समुदायों की वास्तविक स्थिति को सामने लाएगी।

मंत्री संजय निषाद ने बताया कि केंद्र सरकार ने मछुआरों के कल्याण के लिए पिछले 67 वर्षों में विपक्षी सरकारों द्वारा दिए गए मात्र 3,000 करोड़ रुपये की तुलना में 41,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इस राशि से जल पर निर्भर मछुआरों के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनका उद्देश्य उन्हें रोजगार, प्रोटीन युक्त भोजन और आर्थिक स्थिरता प्रदान करना है।

उन्होंने कहा, “हमने 12 मंडलों में जाकर मछुआरों को प्रशिक्षण और प्रमाण पत्र दिए हैं। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत महिलाओं को 60 फीसद और पुरुषों को 40 फीसद सब्सिडी दी जा रही है।”

इसके अलावा, पांच एकड़ भूमि पर मछुआरों को 2 लाख से 3.20 लाख रुपये का अनुदान दिया जा रहा है।

संजय निषाद ने निषाद समुदाय को अनुसूचित जाति (एससी) में शामिल करने की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि पूरे देश में निषाद समुदाय को अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है, लेकिन उत्तर प्रदेश में पिछली सरकारों ने इसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में रखकर अन्याय किया।

उन्होंने बताया कि 31 दिसंबर 2016 को राज्यपाल ने कश्यप, केवट और बिंद समुदायों को ओबीसी सूची से हटा दिया था, जिसके बाद केवल मल्लाह और मजवार को अनुसूचित जाति का दर्जा मिला।

उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति के अधिसूचना के अनुसार, निषाद समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल किया जाना चाहिए। हमारी गिनती 1961 तक सही थी, लेकिन बाद में इसे गलत तरीके से ओबीसी में डाल दिया गया। अब प्रधानमंत्री ने जातिगत जनगणना का फैसला लिया है, जो हमारे लिए बहुत बड़ा कदम है।”

संजय निषाद ने जातिगत जनगणना को “गरीबों का एक्स-रे” करार देते हुए कहा कि इससे आजादी के बाद से वंचित समुदायों को हुए अन्याय का पता चलेगा।

उन्होंने कहा, “यह जनगणना सिर्फ गिनती नहीं, बल्कि उन परिवारों की वास्तविक स्थिति को सामने लाएगी, जिन्हें अंग्रेजों, मुगलों और पिछली सरकारों ने दबाया। इससे उनके विकास के लिए नई परियोजनाएं बनेंगी।”

मंत्री ने बताया कि निषाद समुदाय के बच्चों की शिक्षा के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। इंटरमीडिएट के छात्रों को 20,000 रुपये, स्नातक के लिए 30,000 रुपये और उच्च शिक्षा के लिए 50,000 रुपये की सहायता दी जा रही है। इसके अलावा, निषाद परिवारों की बेटियों की शादी के लिए 50,000 रुपये और आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है।

उन्होंने कहा, “हमने किसान क्रेडिट कार्ड और आधार कार्ड के आधार पर बिना गारंटी के 3 लाख रुपये तक का ऋण देने की व्यवस्था की है। मछुआरों का 5 लाख रुपये का मुफ्त बीमा भी किया जा रहा है।”

संजय निषाद ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति की और मुस्लिम वोटों के लिए गरीबों और वंचितों की उपेक्षा की।

उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने 70 साल तक कुछ नहीं किया। उनकी नीतियों से मुस्लिम समुदाय की स्थिति भी खराब हुई। एक कमेटी की रिपोर्ट कहती है कि 80 प्रतिशत मुस्लिम गरीबी रेखा से नीचे हैं। अब लोग कांग्रेस से दूर हो रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस ने हथियारों के मामले में भी देश को कमजोर किया। पहले हम हथियार खरीदते थे, लेकिन अब पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत हम हथियार बेच रहे हैं।”

संजय निषाद ने कहा कि उनकी पार्टी और सरकार निषाद समुदाय के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि 7 जून 2015 को उन्होंने जातिगत जनगणना के लिए रेल आंदोलन शुरू किया था, जिसका सपना अब पूरा हो रहा है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि 1961 की जनगणना के आधार पर सही गिनती हो, ताकि निषाद समुदाय को उसका हक मिले।”

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