चम्बा का सदियों पुराना मिंजर मेला, जो मक्के के फूल खिलने का प्रतीक है और सांप्रदायिक सद्भाव की भावना का प्रतीक है, पारंपरिक कुजरी मल्हार गीतों के गायन के बीच हर्षोल्लास और जोश के साथ शुरू हो गया।
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने अपनी पत्नी जानकी शुक्ला के साथ ऐतिहासिक चौगान मैदान में मिंजर ध्वज फहराकर मेले का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि चम्बा जिला, अपने एक हजार वर्ष से अधिक के गौरवशाली इतिहास के साथ, अपनी प्राकृतिक सुन्दरता तथा समृद्ध लोक कला और संस्कृति के लिए जाना जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय मिंजर मेला, जो अपनी समृद्ध परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है, न केवल हिमाचल प्रदेश की अनूठी संस्कृति को प्रदर्शित करता है, बल्कि सामाजिक सद्भाव को भी बढ़ावा देता है।’’
अपनी शुभकामनाएँ देते हुए, श्री शुक्ल ने आशा व्यक्त की कि विजय का प्रतीक यह आयोजन प्रदेशवासियों के लिए हर्ष और उल्लास लेकर आएगा। उन्होंने सभी से पारंपरिक लोक संस्कृति के संरक्षण और सामाजिक समरसता बनाए रखने का आह्वान भी किया।
राज्यपाल ने नशीले पदार्थों के बढ़ते प्रचलन पर गंभीर चिंता व्यक्त की और इस सामाजिक बुराई से निपटने के लिए सामूहिक जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने युवाओं को नशे से दूर रहने की सलाह दी और नशे के खिलाफ एक सख्त संदेश फैलाने के उद्देश्य से एक जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाई। इस अवसर पर नशा मुक्ति की शपथ भी दिलाई गई। इससे पहले, राज्यपाल ने भगवान रघुवीर और भगवान लक्ष्मी नारायण को मिंजर (रेशमी लटकन) अर्पित की।
उन्होंने मेले के दौरान आयोजित खेल प्रतियोगिताओं का उद्घाटन किया तथा उनका अवलोकन भी किया, साथ ही विभिन्न विभागों एवं सामाजिक संगठनों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनियों का भी अवलोकन किया।
संपूर्णता अभियान के अंतर्गत, राज्यपाल ने जिला एवं उप-मंडल स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सम्मानित किया। नगर परिषद अध्यक्ष नीलम नैयर ने राज्यपाल को पारंपरिक मिंजर भेंट की। उपायुक्त एवं मिंजर मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष मुकेश रेपसवाल ने समिति की ओर से राज्यपाल को सम्मानित किया।