वरिष्ठ कांग्रेस नेता और चंडीगढ़ से सांसद मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में एक विस्तृत सवाल पूछा कि जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले में संपत्ति की बिक्री या शेयरवार बिक्री पर स्पष्ट रूप से रोक नहीं है तो चंडीगढ़ प्रशासन ने इस पर प्रतिबंध क्यों लगाया है?
उन्होंने कहा कि सरकार ने सीधे जवाब देने के बजाय दुर्भाग्य से सब-ज्यूडिस के सिद्धांत की आड़ में छिपना चुना। उन्होंने कहा कि सब-ज्यूडिस का नियम जूरी ट्रायल के लिए है, लेकिन अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करती है तो बाकी कानूनी कार्यवाही अपने आप खत्म हो जाएगी।
तिवारी ने पूछा था कि क्या यह सही है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में चंडीगढ़ में शेयर-वार संपत्ति की बिक्री पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि चंडीगढ़ के कई निवासी अपनी संपत्ति को सह-मालिकों के अलावा किसी और को नहीं बेच सकते, जिससे उनकी संपत्ति का मूल्य कम हो जाता है और उन्हें चिकित्सा उपचार या पारिवारिक आयोजनों जैसी तत्काल जरूरतों के लिए वित्तीय कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
तिवारी ने यह भी पूछा था कि चंडीगढ़ प्रशासन ने 9 फरवरी 2023 की अधिसूचना को रद्द क्यों नहीं किया है या सुप्रीम कोर्ट से स्पष्टीकरण क्यों नहीं मांगा है कि क्या 10 जनवरी 2023 का फैसला शेयर-वार संपत्ति की बिक्री पर रोक लगाता है, इसके क्या कारण हैं।