लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने आज दोहराया कि वह कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता हैं और उन्होंने कहा कि रेहड़ी-पटरी वालों के पंजीकरण एवं सत्यापन संबंधी उनके बयान को उत्तर प्रदेश की नीति से जोड़कर राजनीतिक एवं सांप्रदायिक रंग दिया गया।
उन्होंने नई दिल्ली से लौटने के बाद यहां कहा, “मैंने जो कुछ भी कहा, वह कानून और केंद्र के स्ट्रीट वेंडिंग पर 2014 के अधिनियम के अनुसार था। शिमला नगर निगम अधिनियम के उपनियमों में स्ट्रीट वेंडरों के पंजीकरण और प्रमाणन का भी प्रावधान है।” दिल्ली में उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की और इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट किया।
मंत्री ने कहा कि कोई भी व्यक्ति, चाहे उसका धर्म और स्थान कुछ भी हो, अपनी आजीविका कमाने के लिए राज्य में आ सकता है। उन्होंने कहा, “हम सभी का स्वागत करेंगे, लेकिन प्रत्येक विक्रेता का सत्यापन कानून के अनुसार किया जाएगा। और यह राज्य की आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखने के लिए है।”
मंत्री ने कहा, “विधानसभा अध्यक्ष द्वारा गठित सर्वदलीय समिति स्ट्रीट वेंडरों से संबंधित सभी मुद्दों पर विचार करेगी और यह तय करेगी कि पहले से मौजूद स्ट्रीट वेंडर अधिनियम में और संशोधन की आवश्यकता है या नहीं।”
मंत्री ने दावा किया कि उनके बयानों के बाद पार्टी हाईकमान ने उन्हें दिल्ली नहीं बुलाया था। उन्होंने कहा, “मीडिया के कुछ वर्गों द्वारा यह रिपोर्ट किए जाने के विपरीत कि मुझे पार्टी हाईकमान ने दिल्ली बुलाया है, मेरा दिल्ली दौरा तय था। और जब भी मैं दिल्ली में होता हूं, तो मैं हमेशा राज्य के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए शीर्ष नेताओं से मिलने का प्रयास करता हूं।”
उन्होंने कहा, “पार्टी हाईकमान को यह बताने के अलावा कि पार्टी लाइन हमारे लिए सर्वोपरि है, मैंने उनसे यह भी कहा कि राज्य के मुद्दों को उठाना और उसके हितों की रक्षा करना भी मेरी जिम्मेदारी है।”
जब उनसे कहा गया कि हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष संजय अवस्थी ने स्ट्रीट वेंडरों पर उनकी टिप्पणी को सरकार की राय नहीं बल्कि निजी राय बताकर खारिज कर दिया है, तो विक्रमादित्य ने कहा कि वह केवल पार्टी हाईकमान, मुख्यमंत्री और हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के प्रति जवाबदेह हैं।