आईसीएआर-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ‘कृषि एवं संबद्ध’ श्रेणी के अंतर्गत राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) 2025 में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। इस पुरस्कार की घोषणा गुरुवार को की गई।
संस्थान के निदेशक एवं कुलपति डॉ. धीर सिंह ने नई दिल्ली में इंडिया रैंकिंग 2025 समारोह के दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से यह पुरस्कार प्राप्त किया। एनआईआरएफ दिशानिर्देशों के अनुसार, रैंकिंग शिक्षण, सीखने और संसाधनों, अनुसंधान और व्यावसायिक प्रथाओं, स्नातक परिणामों, आउटरीच और समावेशिता, और सहकर्मी धारणा पर आधारित है।
सिंह ने कहा कि एनडीआरआई एक प्रमुख डेयरी अनुसंधान संस्थान है जिसने एक शताब्दी से भी अधिक समय तक निरंतर अनुसंधान के माध्यम से भारत में डेयरी उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। डेयरी प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रौद्योगिकी और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा, एनडीआरआई हस्त-निर्देशित तकनीक का उपयोग करके दुनिया की पहली भैंस क्लोनिंग जैसी उपलब्धियों के लिए भी प्रसिद्ध है, जिसने उत्कृष्ट डेयरी पशु प्रजनन को उन्नत किया है।
सिंह ने बताया कि संस्थान ने 80 से ज़्यादा तकनीकें विकसित की हैं, जिनमें से कई का डेयरी उत्पादकता और दक्षता में सुधार के लिए व्यावसायीकरण किया गया है। इसका मॉडल डेयरी प्लांट प्रतिदिन 60,000 लीटर से ज़्यादा दूध का प्रसंस्करण करता है। उन्नत प्रजनन, सटीक दुग्ध उत्पादन पूर्वानुमान और प्रभावी प्रजनन प्रबंधन के ज़रिए, एनडीआरआई ने दूध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की है। सिंबायोटिक उत्पादों, लैक्टोज़-मुक्त पेय पदार्थों और त्वरित संदूषक पहचान में नवाचारों ने दूध की गुणवत्ता और सुरक्षा को बेहतर बनाया है।
तीव्र दूध शीतलन मॉड्यूल और स्वचालित पनीर प्रेसिंग इकाइयों जैसी मशीनीकरण पहलों ने खेत और प्रसंस्करण स्तर पर दक्षता में सुधार किया है। राष्ट्रीय दुग्ध गुणवत्ता एवं सुरक्षा रेफरल प्रयोगशाला और जलवायु अनुकूल पशुधन अनुसंधान केंद्र जैसी प्रमुख सुविधाएँ दूध के मानकों, सुरक्षा और जलवायु अनुकूलन पर अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा देती हैं।