नगर निगम (एमसी) के अगले महापौर चुनाव पारंपरिक गुप्त मतदान प्रणाली के बजाय हाथ उठाकर मतदान कराए जाने की संभावना है।
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चंडीगढ़ में नगर निगम के कामकाज को नियंत्रित करने वाले पंजाब म्यूनिसिपल एक्ट के तहत नियमों में संशोधन का प्रस्ताव अंतिम रूप ले चुका है और इसे मंजूरी के लिए यूटी प्रशासक के पास भेजा जाएगा। अधिकारी ने बताया, “इस कदम का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और मेयर चुनाव के दौरान क्रॉस-वोटिंग और छेड़छाड़ को रोकना है।”
पिछले वर्ष जनवरी में हुए मेयर चुनाव विवादों में घिर गए थे, जब पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह कथित तौर पर मतों से छेड़छाड़ करते हुए कैमरे में कैद हो गए थे।
30 अक्टूबर, 2024 को एमसी सदन ने एक प्रस्ताव पारित किया कि भविष्य के मेयर चुनावों के लिए गुप्त मतदान के प्रावधान के बजाय हाथ उठाकर मतदान करने की पद्धति का उपयोग किया जाए।
सदन में पेश किए गए एजेंडे के अनुसार, “आने वाले वर्षों के लिए पारदर्शी और न्यायसंगत चुनाव प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए, यह प्रस्तावित है कि 1996 के मौजूदा विनियमों में संशोधन किया जाए। यह अनुशंसा की जाती है कि महापौर, वरिष्ठ उप महापौर और उप महापौर के पदों के लिए चुनाव हाथ उठाकर कराए जाएं। इसलिए, चंडीगढ़ एमसी (कार्य-प्रक्रिया और संचालन) विनियम, 1996 के विनियम 6 में संशोधन करने और चुनाव हाथ उठाकर कराए जाने का अनुरोध किया जाता है।”
पंजाब के राज्यपाल एवं केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस की ओर से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाने वाली बार-बार की शिकायतों के मद्देनजर हाल ही में संबंधित अधिकारियों को संशोधन प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था।
30 जनवरी 2024 को हुए मेयर चुनाव के दौरान पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को आप-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार कुलदीप कुमार के पक्ष में डाले गए आठ वोटों को कथित तौर पर अमान्य करते हुए कैमरे में कैद किया गया था। भाजपा उम्मीदवार मनोज सोनकर को विजयी घोषित किया गया था।
आप पार्षद द्वारा दायर याचिका पर, जिसमें महापौर चुनाव के दौरान गड़बड़ी का आरोप लगाया गया था, सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि मतों में छेड़छाड़ जानबूझकर की गई थी और परिणाम को पलट दिया तथा कुलदीप को वास्तविक विजेता घोषित किया।
वीडियो देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि रिटर्निंग ऑफिसर बैलेट पेपर को खराब कर रहा था। यह फैसला ऐतिहासिक था क्योंकि चंडीगढ़ को अपना पहला गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेसी मेयर मिला।
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