नई दिल्ली, 5 नवंबर । दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके के ए ब्लॉक में स्थित काली माता मंदिर में बीती रात हुए पथराव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस घटना को शरारती तत्वों ने सांप्रदायिक घटना के रूप में गलत तरीके से पेश किया।
कुछ नाबालिग लड़कों का आपस में झगड़ा हुआ था। इसका किसी विशेष समुदाय से कोई लेना-देना नहीं था। पुलिस ने सीसीटीवी के आधार पर कुछ आरोपियों की पहचान कर ली है और उनको हिरासत में लिया है।
मंदिर पर पथराव की घटना पर उत्तरी पश्चिमी जिले के डीसीपी अभिषेक धानिया का बयान सामने आया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि चार नंबर को रात करीब आठ बजे महिंद्रा पार्क थाने में एक कॉल आई। जिसमें बताया गया कि मंदिर परिसर के पास कुछ व्यक्ति पथराव कर रहे हैं। पुलिस की टीम तुरंत मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू की। जांच में पता चला कि दो अलग-अलग ग्रुप के लोगों का आपस में झगड़ा हुआ था। इसमें ज्यादातर नाबालिग शामिल थे। झगड़े के दौरान दोनों ग्रुपों के बीच पथराव शुरू हो गया।
एक ग्रुप लोग पथराव करते हुए मंदिर परिसर में घुस गए और वहां से बाहर की ओर पथराव करने लगे। यह सीसीटीवी फुटेज में भी देखा जा सकता है। आगे जांच में पता चला कि दोनों ग्रुपों में पहले से ही मनमुटाव चल रहा था। इसमें कुछ तीन से चार ऐसे लड़के हैं जो सीसीए हैं, इनके खिलाफ पहले भी हमारे थाने में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। जिनको सुधारगृह में भी भेजा गया था।
उन्होंने आगे कहा कि इस घटना में दो नाबालिग घायल हुए, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया। हालांकि, इलाज के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इस पूरे मामले में हमने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं। सीसीटीवी के माध्यम से हमने आरोपियों की पहचान कर ली है और उनके खिलाफ लीगल एक्शन लिया गया है।
डीसीपी ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कुछ लोगों ने वीडियो को मंदिर पर हमले जैसे शब्दों के साथ प्रचारित किया। ऐसा कुछ नहीं है। जानबूझकर इस झगड़े को अलग तरीके से पेश किया गया। सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए इस तरह से गलत जानकारी दी गई। कुछ लोगों की पहचान की गई है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।