देवघर, 9 मार्च । विशिष्ट धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं वाले देवघर स्थित कामना ज्योतिर्लिंग पर जलार्पण के लिए महाशिवरात्रि के दिन भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह तीन बजे मंदिर का पट खुलने के बाद पारंपरिक कांचा जल पूजा और सरकारी पूजा हुई। इसके बाद आम भक्तों के लिए साढ़े चार बजे मंदिर के कपाट खोले गए।
शाम छह बजे तक एक लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया है। यह सिलसिला रात के करीब साढ़े नौ बजे तक जारी रहेगा। सुबह से ही मंदिर से लेकर पांच किलोमीटर दूर तक श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी रही। इस बीच बाबा मंदिर के प्रशासनिक भवन में मशाल जलाकर पारंपरिक शिव बारात निकाली जा रही है।
इस मंदिर में महाशिवरात्रि के अनुष्ठान की परंपराएं अत्यंत विशिष्ट हैं, जिसकी शुरुआत वसंत पंचमी से हो जाती है। उस दिन बिहार के मिथिलांचल और हिमालय की तराई वाले नेपाल से लगभग एक लाख लोग भगवान शंकर के लिए तिलक लेकर पहुंचे थे। सभी शिवालयों में त्रिशूल होते हैं, लेकिन बाबाधाम परिसर स्थित सभी 22 मंदिरों में पंचशूल हैं।
परंपराओं के मुताबिक महाशिवरात्रि से दो दिन पहले पंचशूलों को उतारकर उनकी चारों पहर विशिष्ट पूजा की गई और महाशिवरात्रि के ठीक एक दिन पहले पंचशूलों को मंदिरों के शिखर पर स्थापित किया गया। पंचशूल दर्शन और पूजा के लिए भी भारी संख्या में श्रद्धालु जुटे। महाशिवरात्रि पर रात साढ़े नौ बजे सरदार पंडा गुलाब नंद ओझा की अगुवाई में चतुष्प्रहर पूजा होगी।
बाबा के विग्रह पर साड़ी एवं श्रृंगार सामग्री अर्पित करने के बाद बेलपत्र से सिंदूर अर्पित किया जाएगा। संभवतः यह एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान शंकर पर महाशिवरात्रि के रोज सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है। महाशिवरात्रि के दसवें दिन बाबा का दशहरा पर्व मनाया जाएगा। इस दिन बाबा और मां पार्वती के बीच बंधे गठबंधन को खोला जाएगा। मान्यता है कि बाबा धाम प्रकृति और पुरुष का मिलन स्थल है। यहां शिव और शक्ति दोनों की पूजा होती है।