April 18, 2025
National

महाराष्ट्र में भाषा विवाद पर मनसे नेता वागीश सारस्वत बोले, ‘हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं’

On the language dispute in Maharashtra, MNS leader Vagish Saraswat said, ‘We are Hindus, not Hindi’

महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य बनाने के राज्य सरकार के फैसले को लेकर सियासत शुरू हो गई है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने महाराष्ट्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हिंदी को जबरन थोपना उचित नहीं है।

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के महासचिव वागीश सारस्वत ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं। हिंदू होने का मतलब हिंदी होना नहीं होता है। जहां तक त्रिभाषा नीति का सवाल है, सरकारी कामकाज में इसका इस्तेमाल समझ में आता है, लेकिन शिक्षा में इसे जबरन थोपना ठीक नहीं है। महाराष्ट्र का गठन भाषाई आधार पर हुआ है और मराठी भाषा के लिए महाराष्ट्र बना है। राज्य की भाषा मराठी है और यहां की शिक्षा व्यवस्था में इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”

उन्होंने कहा, “हिंदी राष्ट्र भाषा नहीं है और अगर राष्ट्र भाषा होती तो पूरे देश की स्वीकृत राष्ट्र भाषा बना दी गई होती। तब हिंदी को अनिवार्य विषय बनाकर पढ़ाया जाता तो अलग बात थी। अब महाराष्ट्र की भाषा मराठी है और यहां के विद्यार्थियों पर इसे लादने की कोशिश होगी तो इसका विरोध किया जाएगा। मनसे पार्टी सरकार के इस फैसले का विरोध करती है। यहां की भाषा मराठी है और इसे यही होना चाहिए। मराठी को हटाने या दबाने या फिर किसी दूसरी भाषा को लादने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।”

वागीश सारस्वत ने कहा, “मैं हिंदी भाषी प्रदेश से हूं, लेकिन महाराष्ट्र में मराठी बोलता हूं। मैं यही बात मराठियों से बोलता हूं कि वे जिस भी राज्य में रहें, वहां की भाषा को स्वीकार करें। अपनी मराठी भाषा को वहां न दें। मराठी पर किसी भी भाषा को थोपना अस्वीकार्य है।”

महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में हिंदी भाषा को कक्षा 1 से 5 तक अनिवार्य कर दिया है। सरकार के इस आदेश को लेकर मनसे ने मोर्चा खोल दिया है। राज ठाकरे ने गुरुवार को एक्स पर एक पोस्ट कर सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य बनाने को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बर्दाश्त नहीं करेगी।

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