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वन नेशन, वन इलेक्शन प्रजातंत्र में पीएम मोदी के विश्वास का प्रतीक: जीतन राम मांझी

One Nation, One Election is a symbol of PM Modi's faith in democracy: Jitan Ram Manjhi

नई दिल्ली, 19 सितंबर । ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर पक्ष – प्रतिपक्ष अपने-अपने तर्क दे रहा है। मोदी कैबिनेट ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है अब आगे की प्रक्रिया को लेकर बहस सड़क पर हो रही है। इस सबके बीच केंद्रीय एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी ने इतिहास याद दिलाया है।

मांझी ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रजातंत्र में विश्वास करते हैं। हम उनके सामने प्रस्ताव लेकर आए। जब 1952, 57, 62, 67 में वन नेशन वन इलेक्शन हो सकता है तो अब क्यों नहीं? इसलिए हम लोगों ने मांग की कि वन नेशन, वन इलेक्शन लागू होना चाहिए। साल भर कहीं न कहीं चुनाव की वजह से कोड ऑफ कंडक्ट लागू रहता है। चुनाव के कारण विकास के काम में बाधा आती है।

इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने विरोधियों की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा, दूसरी बात यह है कि जो वोट और बूथ के लुटेरे होते हैं, वो चुनाव को प्रभावित करते हैं। उनको मौका मिल जाता है। इससे डेमोक्रेसी प्रभावित होता है। इन सब बातों को लेकर हम लोगों ने पीएम मोदी के सामने प्रस्ताव रखा था। जिसके बाद रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया गया। इस प्रस्ताव पर लाखों लोगों से बातचीत के बाद एक ड्राफ्ट तैयार किया गया। जिसे केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। हम लोग सब मिलकर इसे पारित कराएंगे। इसके लिए पीएम मोदी को हम लोग धन्यवाद देते हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वन नेशन वन इलेक्शन को अव्यवहारिक करार दिया है। जिसको लेकर मांझी ने कहा कि, खड़गे को खुद याद करना चाहिए कि जब 1952, 57, 62, 67 में उनकी (कांग्रेस) सरकार के दौरान एक साथ चुनाव हुए थे। जब उस समय एक साथ चुनाव हो सकते थे तो इस समय क्यों नहीं हो सकता? वो गलत दलीलों का सहारा लेकर इस तरह का बयान दे रहे हैं।

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