एक चौंकाने वाले खुलासे में, राज्य सरकार ने कम से कम 1,223 स्रोतों की पहचान की है जो पंजाब के जल निकायों को बेरोकटोक प्रदूषित कर रहे हैं।
जल संसाधन विभाग द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, जहां अमृतसर में सबसे अधिक 390 प्रदूषण बिंदु चिन्हित किए गए हैं, वहीं सीएम भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में 159 स्रोत हैं – जो जल प्रदूषण का दूसरा सबसे बड़ा कारण हैं।
23 अगस्त को सभी उपायुक्तों को भेजे ज्ञापन में जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव कृष्ण कुमार ने रिपोर्ट साझा की है तथा अपने-अपने जिलों में जल निकायों के प्रदूषण की जांच के लिए कार्रवाई की मांग की है।
लुधियाना में सतलुज की एक सहायक नदी बुद्ध नाला को व्यापक प्रदूषण से मुक्त करने के अभियान का नेतृत्व कर रहे पर्यावरणविद् कर्नल जसजीत गिल (सेवानिवृत्त) ने दावा किया कि उन्होंने इस मामले को प्रमुख सचिव के समक्ष उठाया है, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट आंखें खोलने वाली है। उन्होंने कहा, “अब हमें प्रदूषण फैलाने वालों के नाम जानने होंगे।”
कुमार ने कहा कि यह न केवल जल प्रदूषण अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि उत्तरी भारत नहर एवं जल निकास अधिनियम, 1873 का भी उल्लंघन है। उन्होंने लिखा है, “जल संसाधन विभाग द्वारा नालों में प्रदूषण रोकने के उपायों पर जिलेवार जानकारी एकत्र की गई है। कई बार गांवों, नगर निगमों और अन्य संगठनों द्वारा बिना उपचारित पानी को नदियों और नालों में फेंक दिया जाता है, जिससे जलस्रोत प्रदूषित होते हैं।”
कुमार ने कहा, “यह भी बताया गया है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण नियमित आधार पर इस मुद्दे की निगरानी कर रहा है।”
प्रदूषण के अन्य पहचाने गए स्रोत हैं: बरनाला (59), बठिंडा (44), फरीदकोट (42), फतेहगढ़ साहिब (29), फाजिल्का (2), फिरोजपुर (15), गुरदासपुर (14), होशियारपुर (15), जालंधर (82), कपूरथला (44), लुधियाना (27), मालेरकोटला (51), मनसा (46), मोगा (19), मुक्तसर (16), पठानकोट (1), पटियाला (66), रोपड़ (31), मोहाली (46), नवांशहर (14), और तरनतारन (11)।