पाकिस्तान ने भारत के बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ को छोड़ दिया है। शॉ बुधवार को अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत लौटे। बीएसएफ ने इसकी पुष्टि की है। वे 23 अप्रैल से पाकिस्तान के कब्जे में थे।
पूर्णम कुमार शॉ 23 अप्रैल गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे और तभी से पाकिस्तानी रेंजर्स के कब्जे में थे। भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ स्तर की बातचीत के बाद उन्हें छोड़ा गया है। बीएसएफ के अधिकारी उन्हें अपने साथ मेडिकल चेकअप के लिए ले गए हैं। चेकअप के बाद उन्हें उनके घर भेजा जाएगा।
पूर्णम शॉ को पाकिस्तानी रेंजर्स ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के ठीक एक दिन पकड़ा था। आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की इस हरकत ने दोनों देशों के बीच के तनाव को और बढ़ा दिया था। डीजीएमओ स्तर की बातचीत के बाद अब पूर्णम शॉ को पाकिस्तान ने 14 मई को छोड़ा।
शॉ के जब पाकिस्तान के कब्जे में जाने की खबर मिली तो उनकी गर्भवती पत्नी रजनी वाघा-अटारी बॉर्डर पहुंच गई थी और उनकी वापसी पर अड़ गई थी। बीएसएफ द्वारा शॉ के सुरक्षित होने और उनकी वापसी का आश्वासन देने के बाद ही वे वापस लौटीं। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव ने उनकी चिंता बढ़ा दी थी लेकिन अब वे काफी खुश हैं।
पूर्णम की पत्नी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बची बढ़े तनाव ने उनकी चिंता बढ़ा दी थी। लेकिन पति की सकुशल वापसी ने उनका भारत सरकार और सेना के प्रति विश्वास और बढ़ा दिया है।
बता दें, 23 अप्रैल को फिरोजपुर जिले के ममदोट कस्बे के पास खेतों में किसानों की निगरानी कर रहे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान पूर्णम को पाकिस्तानी रेंजर्स तब उठा कर ले गए जब वो गर्मी से बेहाल हो एक पेड़ के नीचे बैठ गए थे। बाद में पता चला कि वो गलती से जीरो लाइन पार कर एक पेड़ की छांव में बैठ गए जो पाकिस्तानी सीमा में आता था।
बीएसएफ ने बताया कि गेहूं की कटाई के लिए किसान गेट नंबर 208/1 से फेंसिंग पार कर खेतों में पहुंचे थे। उनके साथ निगरानी के लिए बीएसएफ के दो जवान भी गए थे।
गर्मी के चलते शॉ पास के पेड़ की छांव में बैठ गए। तभी वहां, मौजूद एक पाकिस्तानी किसान ने उन्हें देखकर पाक रेंजर्स को सूचना दी।
कुछ ही देर में पाक रेंजर्स वहां पहुंचे और जवान को गिरफ्तार कर लिया। शॉ की राइफल भी छीन ली गई और अपने साथ ले गए। घटना की जानकारी मिलते ही बीएसएफ में हड़कंप मच गया और अधिकारी तुरंत जल्लोके चेक पोस्ट पर पहुंचे।