N1Live World पाकिस्तान हमेशा बांग्लादेश की आजादी के खिलाफ था : सजीब वाजेद
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पाकिस्तान हमेशा बांग्लादेश की आजादी के खिलाफ था : सजीब वाजेद

Pakistan was always against Bangladesh's independence: Sajeeb Wajed

 

नई दिल्ली, बांग्लादेश में फैली हिंसा और संघर्ष से सैकड़ों लोगों की मौत के बाद शेख हसीना के देश छोड़ने से फैली राजनीतिक अस्थिरता के बीच उनके बेटे सजीब वाजेद ने आईएएनएस से एक्सक्लूसिव बातचीत की।

इस बातचीत में उन्होंने बांग्लादेश में हिंसा के पीछे चीन का हाथ होने से साफ इनकार कर दिया। सजीब वाजेद ने कहा, “मुझे नहीं लगता है कि चीन इसमें बिल्कुल भी शामिल है, क्योंकि चीन ने कभी भी हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया है। हम अपनी नीति से चीन का पक्ष नहीं लेते हैं, बल्कि सभी से दोस्ती रखते हैं। भारत हमारा सबसे अच्छा दोस्त है। लेकिन पाकिस्तान और आईएसआई हमेशा से स्वतंत्र बांग्लादेश के खिलाफ थे।”

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के बाद होने वाले आम चुनाव में भारत महाशक्ति के रूप में निष्पक्ष चुनाव कराने में अपने राजनयिक प्रभाव का उपयोग करे।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि बांग्लादेश में जो हो रहा है, वह भारत के लिए वास्तविक चिंता का विषय होना चाहिए। यह भारत की सुरक्षा को प्रभावित करता है। एक महाशक्ति के रूप में, भारत को अब यह सुनिश्चित करने के लिए अपने राजनयिक प्रभाव का उपयोग करना चाहिए कि बांग्लादेश में लोकतांत्रिक चुनाव हो। ये चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होने के साथ समावेशी होना चाहिए।”

नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस बृहस्पतिवार (8 अगस्त) को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के तौर पर रात 8 बजे शपथ लेंगे।

आरक्षण के मुद्दे पर हिंसा से फैली अशांति के बीच पीएम शेख हसीना के इस्तीफे के बाद अंतरिम सरकार का गठन किया जा रहा है। बांग्लादेश में सोशल एक्टिविज्म के लिए मशहूर और ग्रामीण बैंक के संस्थापक मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार का नेतृत्व करेंगे।

इससे पहले बांग्लादेश की एक अदालत ने कार्यभार संभालने से ठीक एक दिन पहले ही श्रम कानून उल्लंघन मामले में यूनुस की सजा को भी पलट दिया है। जिसके बाद बांग्लादेश वापस आना उनके लिए सुरक्षित हो गया है।

बता दें, बांग्लादेश में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए देश की तमाम सरकारी नौकरियों में दिए जा रहे आरक्षण के विरोध में एक जुलाई से प्रदर्शन की शुरुआत छात्रों ने की थी। पांच जून को ढाका हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को आरक्षण को फिर से लागू करने का आदेश दिया था।

बांग्लादेश में 30 फीसदी नौकरियों में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों के अलावा पौत्र-पौत्रियों के लिए, प्रशासनिक जिलों के लोगों के लिए 10 फीसदी, महिलाओं के लिए 10 फीसदी, जातीय अल्पसंख्यक समूहों को 5 फीसदी और विकलांगों को 1 फीसदी आरक्षण नौकरियों में दिया जा रहा है।

इसके अलावा बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत महिलाओं, विकलांगों और जातीय अल्पसंख्यक लोगों के लिए भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान पहले से ही है। इस रिजर्वेशन सिस्टम को 2018 में वहां की सुप्रीम कोर्ट द्वारा निलंबित कर दिया गया था। इस निलंबन के बाद इस तरह के विरोध प्रदर्शन पूरे देश में रूक गए थे।

सोमवार को बांग्लादेश में भीड़ ने अपनी मांगों को लेकर राजधानी व उसके आसपास के इलाकों में आगजनी, तोड़फोड़ की जिसमें सैकड़ों लोगों के मारे जाने की भी पुष्टि हुई है। इसके अलावा राजधानी में लगे शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को भी तोड़ दिया गया।

 

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