N1Live Uttar Pradesh महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाकर पीएम मोदी ने दिया एकता का संदेश
Uttar Pradesh

महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाकर पीएम मोदी ने दिया एकता का संदेश

PM Modi gave the message of unity by taking a dip of faith in Mahakumbh

महाकुंभ नगर, 6 फरवरी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को प्रयागराज महाकुंभ में मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती की त्रिवेणी के पावन संगम में पुण्य की डुबकी लगाकर पूरी दुनिया को एकता का संदेश दिया। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ त्रिवेणी संगम में स्नान किया।

पावन डुबकी लगाने से पहले प्रधानमंत्री ने भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान वह रुद्राक्ष की माला का जप करते हुए भी नजर आए। मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती की आराधना करते हुए उन्होंने पावन डुबकी लगाई। डुबकी लगाने के बाद उन्होंने गंगा पूजन और आरती भी की। इससे पहले प्रधानमंत्री के प्रयागराज आगमन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया।

त्रिवेणी संगम पर डुबकी लगाने से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधिवत पूजा-अर्चना की। संगम में उतरने से पहले पीएम ने सबसे पहले आस्था के साथ जल को स्पर्श कर आशीर्वाद लिया और फिर सूर्य को अर्घ्य दिया और तर्पण भी किया। संगम स्नान के बाद उन्होंने पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना भी की। काले कुर्ते और भगवा पटके व हिमाचली टोपी पहने पीएम मोदी ने वैदिक मंत्रों और श्लोकों के बीच संगम त्रिवेणी में अक्षत, नैवेद्य, पुष्प, फल और लाल चुनरी अर्पित की। इसके बाद उन्होंने संगम स्थल पर तीनों पावन नदियों की आरती भी उतारी। वहां मौजूद तीर्थ पुरोहित ने उनका टीका लगाकर अभिनंदन किया। पूजा-अर्चना के बाद पीएम मोदी, मुख्यमंत्री के साथ उसी बोट पर बैठकर वापस हेलीपैड की ओर रवाना हो गए।

महाकुंभ में जहां दुनिया भर के श्रद्धालुओं का समागम हो रहा है, वहां प्रधानमंत्री ने पावन डुबकी के माध्यम से पूरी दुनिया को “एक भारत श्रेष्ठ भारत” और “वसुधैव कुटुम्बकम” का संदेश दिया। बुधवार को पीएम मोदी का संगम स्नान बहुत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण रहा। इस दौरान विशिष्ट योग का भी संयोग रहा। दरअसल, बुधवार का दिन विशेष था, क्योंकि हिंदू पंचांग के अनुसार इस समय गुप्त नवरात्रि चल रही है और बुधवार को भीष्माष्टमी भी थी। गुप्त नवरात्रि पर जहां देवी पूजन किया जाता है, वहीं भीष्माष्टमी पर श्रद्धालु अपने पुरखों का तर्पण और श्राद्ध भी करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह प्रयागराज एयरपोर्ट पहुंचे, जहां से वह एमआई 17 हेलिकॉप्टर में बैठकर डीपीएस हेलीपैड पहुंचे। यहां पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत और अभिनंदन किया। यहां से प्रधानमंत्री अरैल घाट पहुंचे, जहां से विशेष बोट पर सवार होकर उन्होंने त्रिवेणी संगम का रुख किया। बोट पर उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। इस दौरान प्रधानमंत्री महाकुंभ में की गई व्यवस्थाओं और श्रद्धालुओं को दी जा रही सुविधाओं के विषय में सीएम योगी से जानकारी लेते हुए भी दिखाई दिए। बोट से भ्रमण के दौरान पीएम ने त्रिवेणी संगम में मौजूद श्रद्धालुओं का भी अभिवादन स्वीकार किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब त्रिवेणी संगम पहुंचे तब आम श्रद्धालु भी संगम स्नान कर रहे थे। पीएम मोदी के आगमन के बावजूद लोगों को स्नान करने से रोका नहीं गया था। वीवीआईपी मूवमेंट के बाद भी कहीं गतिरोध उत्पन्न नहीं हुआ और एक तरह से पीएम मोदी और अन्य श्रद्धालुओं ने एक साथ ही त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगाई। इससे श्रद्धालु भी प्रसन्न नजर आए और संगम तट पर लाखों लोगों की मौजूदगी में “हर हर गंगे” और “मोदी-मोदी” के जयकारे गुंजायमान होते रहे।

उल्लेखनीय है कि 13 जनवरी से प्रारंभ हुए महाकुंभ में अब तक वीवीआईपी मूवमेंट के बावजूद श्रद्धालुओं को संगम स्नान में कहीं कोई दिक्कत नहीं आ रही है। इसी का नतीजा है कि मात्र 24 दिनों में अब तक 39 करोड़ श्रद्धालु संगम में पावन डुबकी लगा चुके हैं।

इससे पूर्व पीएम मोदी ने महाकुंभ की शुरुआत से एक माह पूर्व 13 दिसंबर को प्रयागराज का दौरा किया था और 5500 करोड़ रुपए की 167 परियोजनाओं की सौगात दी थी। इसमें यात्री सुविधाओं के लिए स्टेशनों के अपग्रेडेशन और डेवलपमेंट के साथ-साथ आरओबी फ्लाईओवर, सड़कों का चौड़ीकरण, सुदृढ़ीकरण और सौंदर्यीकरण की प्रमुख परियोजनाएं सम्मिलित थीं। इसके अतिरिक्त, स्थायी घाटों, रिवर फ्रंट, सीवरेज, पेयजल सुविधाओं के साथ विद्युत आपूर्ति से जुड़ी परियोजनाओं का भी शुभारंभ किया था।

यही नहीं, पीएम मोदी ने अक्षयवट कॉरिडोर, सरस्वती कूप कॉरिडोर, बड़े हनुमान मंदिर कॉरिडोर, भारद्वाज ऋषि आश्रम कॉरिडोर, श्रृंगवेरपुर धाम कॉरिडोर का भी शुभारंभ किया था। इन परियोजनाओं और कॉरिडोर के शुभारंभ का उद्देश्य न सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए महाकुंभ के अनुभव को यादगार बनाना था, बल्कि तीर्थराज प्रयागराज को प्रगति की नई दिशा दिखाना भी था।

Exit mobile version