नालागढ़ उपमंडल के खेड़ा के निकट दाड़ी कनिया गांव में एक स्क्रैप डीलर की फॉर्च्यूनर एसयूवी पर अज्ञात बदमाश द्वारा अंधाधुंध गोलीबारी करने के एक दिन बाद भी पुलिस हत्यारोपी की पहचान और अपराध के पीछे के मकसद को लेकर अंधेरे में हाथ-पांव मार रही है।
पुलिस की प्रेस ब्रीफ में बताया गया कि पीड़ित रामकृष्ण ने इस साल की शुरुआत में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी से स्क्रैप हासिल करने से जुड़े विवाद में बरोटीवाला में आईपीसी की धारा 341, 506, 147 और 149 के तहत गलत तरीके से रोकने, आपराधिक धमकी और दंगा करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई थी। हालांकि, जांच अधिकारी अभी तक उस मामले से कोई संबंध स्थापित नहीं कर पाए हैं।
पुलिस को उस बदमाश के बारे में कोई जानकारी नहीं थी जो रामकृष्ण की बुलेटप्रूफ गाड़ी पर गोली चलाकर भाग गया था। इस घटना में रामकृष्ण को कोई चोट नहीं आई।
हालांकि बद्दी पुलिस जिले में विभिन्न स्थानों पर कई क्लोज सर्किट कैमरों का नेटवर्क स्थापित है, लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि गोलीबारी के बाद बदमाश कहां भाग गया और कहां से आया था।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बद्दी अशोक वर्मा ने कहा कि बदमाश की पहचान के अलावा उसे पकड़ने के प्रयास जारी हैं तथा इस संबंध में विभिन्न पहलुओं की जांच की जा रही है।
पुलिस को अभी तक अपराध में प्रयुक्त हथियार का पता नहीं चल पाया है, हालांकि घटनास्थल की फोरेंसिक जांच पहले ही कर ली गई है।
उच्च न्यायालय द्वारा कम से कम दो मामलों में घटिया जांच पर संदेह जताए जाने तथा यह सवाल उठाए जाने के बाद कि निलंबित अधिकारियों ने अपनी जमानत रद्द होने के बाद भी आत्मसमर्पण क्यों नहीं किया, बद्दी पुलिस की कार्यप्रणाली पहले से ही संदेह के घेरे में है।
इससे भी बुरी बात यह है कि नालागढ़ पुलिस इस मामले में पूरी तरह से जांच करने में विफल रही है, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने इस महीने की शुरुआत में नालागढ़ में बहुसंख्यक समुदाय के एक युवक को डराने के लिए कथित तौर पर हथियार लहराए थे। हालांकि उस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, लेकिन पुलिस ने मामले में हथियारों के इस्तेमाल के बारे में भी पूछताछ नहीं की।
हरियाणा के नूंह के मुख्य आरोपी, जिन्होंने अगस्त में बद्दी-नालागढ़ राजमार्ग पर बागबानिया गांव से 19 लाख रुपये की एटीएम लूट की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया, अभी तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं। पुलिस द्वारा गहन जांच के दावों के बावजूद, कुछ हज़ार रुपये को छोड़कर, उस मामले में कोई जब्ती नहीं हुई है।
राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र धबोटा में बिगड़ती कानून-व्यवस्था का खुलासा मई में हुआ था, जब खनन माफिया ने धबोटा क्षेत्र में बोदला खुद के पास अवैध खनन का पता लगाने के बाद खनन टीम के सदस्यों को धारदार हथियारों से धमकाया था।
वाहनों को छुड़ाने के लिए मौके पर पहुंचे खनन माफिया ने खनन निरीक्षक को जबरन अपने साथ पंजाब ले गए। माफिया टीम द्वारा जब्त किए गए वाहनों को भी छुड़ाने में कामयाब रहे। पंजाब पुलिस के हस्तक्षेप पर खनन निरीक्षक को 45 मिनट बाद जाने दिया गया।